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भारत, म्यामां सुरक्षा, आर्थिक संबंधों को गहरा बनाएंगे

सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए भारत और म्यामां ने 1640 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करने समेत विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया, साथ ही दोनों पड़ोसी देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का वित्त पोषण करने या समर्थन करने वालों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
भारत, म्यामां सुरक्षा, आर्थिक संबंधों को गहरा बनाएंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और म्यामां की शीर्ष नेता आंग सान सू ची ने आज बातचीत की जिसमें दोनों देशों के बीच सुरक्षा और कारेाबारी रिश्ते प्रगाढ़ करने समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा की गई।

दोनों देशों ने ऊर्जा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में तीन समझौतों पर दस्तखत किए। दोनों ने तेल एवं गैस, कृषि, अक्षय ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के सत्ता में आने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। वह देश की स्टेट काउंसिलर और विदेश मंत्री हैं। म्यामां की नेता का स्वागत करते हुए मोदी ने भारत को उनका दूसरा घर बताया और आश्वासन दिया कि भारत और उसकी दोस्ती आपके साथ समर्थन और एकजुटता में खड़े रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने एक मीडिया बयान में सू ची को प्रतिष्ठित नेता बताया। उल्लेखनीय है कि सू ची ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। सू ची ने अपनी टिप्पणी में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को याद किया और कहा कि म्यामां ने लोकतंत्र के अपने संघर्ष में इन दो भारतीय नेताओं से जबरदस्त प्रेरणा प्राप्त की। मोदी ने कहा कि निकट और दोस्ताना पड़ोसी के नाते दोनों देशों के सुरक्षा हित मिले हुए हैं।

दोनों देशों ने सीमा से लगे इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निकट समन्वय से काम करने पर सहमति जताई। दोनों ने एक दूसरे के सामरिक हितों के प्रति संवेदनशीलता जताई। सू ची के नेतृत्व में ही इस वर्ष ऐतिहासिक चुनाव में नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी ने सैन्य जुंटा से सत्ता छीनी थी। उन्होंने कहा कि म्यामां की नई सरकार दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना चाहती है और भारत के साथ वर्तमान सहयोग का विस्तार करना चाहती है। उन्होंने जोर दिया कि इरादा एक दूसरे पर निर्भरता का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपने प्रेस बयान में सू ची ने कहा,  लोकतंत्र के लिए हमारे संघर्ष में हमें महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के विचारों से काफी मदद मिली। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की इन दो महान विभूतियों ने अपनी सोच और विचारों से काफी प्रेरणा प्रदान की। मोदी ने सू ची के साथ द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयामों पर व्यापक चर्चा की।

उद्योग मंडल सीआईआई के अनुसार सू ची ने कहा कि उनका देश बुनियादी ढांचा, कृषि और कौशल विकास के क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग चाहता है। सीआईआई के अनुसार उन्होंने कहा, सहयोग के अवसर दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी होना चाहिए और दोनों देशों के बीच कोई भी सौदा न्यायोचित होना चहिए। सू ची ने कहा कि म्यामां सरकार निवेश संबंधी नए नियमों को अधिसूचित करने की तैयारी में है। इनके तहत विदेशी कंपनियों के साथ वही व्यवहार होगा जो घरेलू निवेशकों के साथ होगा। उन्होंने कहा कि इससे अनुबंधों में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। इसमें लाभ और पूंजी को देश से वापस ले जाने संबंधी मुद्दों का भी समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत कौशल विकास, कृषि और खास कर जैविक खेती और कृषि मशीनरी तथा बुनियादी ढांचा विकास में म्यामां की मदद कर सकता है। (एजेंसी)

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