पाकिस्तान ने कहा है कि वह पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनकी बहन फरयाल तालपुर को विदेश जाने से रोकने के लिये उनके नाम एक्जिट कंट्रोल सूची (ईसीएल) में डाले जाएंगे। फर्जी बैंक खातों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की जांच में उनके नाम सामने आए थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पांच सितंबर को गठित जेआईटी की जांच ‘32 फर्जी खातों’ पर केंद्रित थी जो कथित तौर पर जरदारी, तालपुर और कुछ अन्य को व्यापक वित्तीय फायदे पहुंचाने के लिये इस्तेमाल किये गए। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि मंत्रिमंडल ने जरदारी और उनकी बहन समेत सभी 172 संदिग्धों को ईसीएल पर रखने का फैसला किया है। यह मामला मनी लॉंड्रिंग और फर्जी बैंक खातों से संबंधित है। इस सूची में शामिल लोगों के पाकिस्तान छोड़ने पर पाबंदी रहती है।
चार निकाय औने पौने दाम पर लेने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट में जेआईटी द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट के अनुसार ओमनी ग्रुप ने सिंध में औने-पौने दाम पर चार सरकारी निकायों थट्टा सीमेंट फैक्टरी, थट्टा सुगर मिल्स, नौदेरो सुगर मिल्स और दादू सुगर मिल्स को अधिग्रहीत किया था। जिसका स्वामित्व कथित रुप से जरदारी और उनके करीबियों के हाथों में था। रिपोर्ट के अनुसार कुछ मामलों में फर्जी बैंक खातों से भुगतान किया गया। मसलन थट्टा सीमेंट 13.5 करोड़ रुपये खरीदा गया और यह राशि फर्जी बैंक खातों से भुगतान की गयी।
पीपीपी ने लगाया बदनाम करने का आरोप
जेआईटी में संघीय जांच एजेंसी, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो, संघीय राजस्व ब्यूरो, पाकिस्तान स्टेट बैंक, पाकिस्तान प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग और इंटर सर्विसे इंटेलीजेंस के सदस्य हैं। वहीं, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि जरदारी को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।