लाहौर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश ने कल लाहौर पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वह कोट लखपत जेल के उप अधीक्षक की 17 फरवरी को अदालत में पेशी सुनिश्चित करें।
लाहौर में कोट लखपत सेंटल जेल में करीब चार साल पहले सरबजीत की हत्या कर दी गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में बहुत कम प्रगति हुई है।
सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने अदालत के साथ सहयोग नहीं करने को लेकर जेल प्राधिकारियों को फटकार लगाई और बार बार समन जारी किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने वाले उप अधीक्षक को जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। मौत की सजा काट रहे दो कैदी आमिर तंबा और मुदस्सर पर आरोप है कि मई 2013 में कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हमला उसकी हत्या कर दी थी। लाहौर उच्च न्यायालय के एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के न्यायाधीश मजहर अली अकबर नकवी ने सत्र अदालत में मामला शुरू होने से पहले सरबजीत हत्या मामले की जांच की थी। नकवी ने मामले में 40 गवाहों के बयान दर्ज किए थे और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने विदेश मंत्रालय के जरिए सरबजीत के रिश्तेदारों को भी नोटिस जारी किया है ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें और अगर उनके पास हत्या से संबंधित कोई सबूत है तो उन्हें भी पेश किया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि बहरहाल सरबजीत के परिवार ने अपने बयान दर्ज नहीं कराए हैं। आयोग को दिए अपने बयान में आमिर और मुदस्सर ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा था कि वह सरबजीत की हत्या कर लाहौर और फैसलाबाद बम विस्फोटों में मारे गए लोगों की हत्या का बदला लेना चाहते थे।
अतिरिक्त जिला एवं सत्रा न्यायाधीश लाहौर की अदालत में आमिर और मुदस्सर दोनों ही हत्या मामले में दोषी पाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।