शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा का समापन किया और वह अरब राष्ट्र की दो दिवसीय यात्रा के लिए मिस्र के लिए रवाना हुए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "बहुत खास यात्रा का समापन। यहां मुझे भारत-यूएसए दोस्ती को गति देने के उद्देश्य से कई कार्यक्रमों और बातचीत में हिस्सा लेने का मौका मिला। हमारे देश हमारे ग्रह को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।"
गौरतलब है कि अमेरिकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए और उन्होंने शीर्ष भारतीय और अमेरिकी सीईओ से भी मुलाकात की। व्हाइट हाउस में औपचारिक स्वागत के दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रथम महिला जिल बिडेन के साथ व्हाइट हाउस में राजकीय रात्रिभोज किया जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ राजकीय लंच किया।
मिस्र रवानगी से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वाशिंगटन डीसी में रोनाल्ड रीगन बिल्डिंग में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया और इस भेंट को "मीठे पकवान" की तरह बताया। आपको बता दें कि मिस्र आगमन पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के नेताओं और भारतीय प्रवासियों के साथ विभिन्न कार्यक्रम करेंगे। प्रधानमंत्री अल-हकीम मस्जिद में लगभग आधा घंटा बिताएंगे।
अपने पहले मिस्र दौरे के दौरान पीएम मोदी उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हेलियोपोलिस वॉर ग्रेव कब्रिस्तान भी जाएंगे, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र के लिए लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उल्लेखनीय है कि भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में 'मुख्य अतिथि' के रूप में शामिल हुए मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी मिस्र का दौरा कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि मिस्र पारंपरिक रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों में से एक रहा है। इजिप्टियन सेंट्रल एजेंसी फॉर पब्लिक मोबिलाइजेशन एंड स्टैटिस्टिक्स (CAPMAS) के अनुसार, भारत-मिस्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता मार्च 1978 से लागू है और यह मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित है। अप्रैल 2022-दिसंबर 2022 की अवधि में भारत मिस्र का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
बता दें कि यह उसी समय के दौरान मिस्र के सामानों का 11वां सबसे बड़ा आयातक और मिस्र का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक था। ऐसे में माना जा रहा है कि यह दौरा भी कई मायनों में महत्वपूर्ण रहने वाला है। इसके अलावा, भारत और मिस्र द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संपर्क और सहयोग के लंबे इतिहास पर आधारित एक करीबी राजनीतिक समझ भी साझा करते हैं।