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आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की नाकामी पर मिली सजा, FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान

मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाले फाइनेंशिल ऐक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को...
आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की नाकामी पर मिली सजा, FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान

मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाले फाइनेंशिल ऐक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को राहत नहीं मिली है। एफएटीएफ की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई है। गुरुवार शाम को जारी किए गए बयान में एफएटीफ ने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 34 सूत्रीय एजेंडे में से चार को पूरा करने में नाकाम रही है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। एफएटीएफ ने तुर्की को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की है।

एफएटीएफ ने बताया कि पाकिस्तान लगातार निगरानी (ग्रे लिस्ट) में है। इसकी सरकार के पास 34-सूत्रीय कार्य योजना है जिसमें से 30 पर ही ऐक्शन लिए गए हैं। इस साल जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काले धन पर रोक नहीं लगाने, आतंकवाद के लिए वित्तपोषण बढ़ाने पर ग्रे लिस्ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से जुड़े हाफिज सईद तथा मसूद अजहर जैसे लोगों के खिलाफ जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने को कहा था। पाकिस्तान ने दिखावा तो किया लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया है।

एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट से बोत्सवाना और मारीशस को बाहर कर दिया है। इन दोनों देशों ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को मिल रहे पैसों को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। ज़िम्बाब्वे का भी रिकॉर्ड सुधरा है। टीम के ऑन साइट दौरे के बाद ज़िम्बाब्वे को राहत मिल सकती है।

एफएटीएफ  अध्यक्ष प्लेयर ने कहा, ''तुर्की भी ग्रे लिस्ट में है। तुर्की को अपने एक्शन प्लान पर कारगर कार्रवाई दिखानी होगी। साथ ही गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में भी पारदर्शिता दिखानी होगी।'' एफएटीएफ  ने शेल कम्पनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के आधार पर रोक के लिए बेनिफिशियल ओनरशिप इंफॉर्मेशन स्टैंडर्ड बनाने का फैसला किया है।  अगले फरवरी में होने वाली प्लेनेरी के बाद इसके मानक जारी किए जाएंगे। साथ ही अगले आकलन में विभिन्न देशों को बेनिफिशियल ओनरशिप रजिस्ट्री के आधार पर जांचा भी जाएगा। इसके तहत सभी देशों को बेनिफिशियल ओनरशिप इंफॉर्मेशन बेस बनाना होगा।. साथ ही कम्पनियों के शेयर धारकों की जानकारियां भी एक महीने के भीतर अपडेट करने होगी।

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