अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के माहौल के बीच सऊदी अरब के दो तेल टैंकरों पर हमला हुआ है। सऊदी अरब का कहना है कि इससे उसे काफी नुकसान पहुंचा है तथा उसने संयुक्त अरब अमीरात के तटीय क्षेत्र में वाणिज्यिक एवं असैन्य जहाजों को निशाना बनाए जाने की निंदा की है।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो मॉस्को की प्रस्तावित यात्रा को रद्द कर ईरान को लेकर यूरोपीय संघ के अधिकारियों से बातचीत के लिए ब्रसेल्स गए हुए हैं। सऊदी अरब ने कहा है कि इस आपराधिक कृत्य से समुद्री सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इससे क्षेत्र ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
ईरान ने की जांच की मांग
ईरान ने इस हमले को चिंताजनक बताया है और इसकी जांच की मांग उठाई है। तेहरान ने हमलों को ‘चिंताजनक’ बताते हुए समुद्री सुरक्षा को बाधित करने के लिए विदेशी पक्षों के ‘दुस्साहस’ को लेकर आगाह किया।
ब्रिटेन ने जताई शांति की जरूरत
ब्रिटेन ने अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने पर खाड़ी में ‘अकस्मात रूप से’ संघर्ष पैदा होने के खतरे को लेकर सख्त चेतावनी दी है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरेमी हंट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें शांति की जरुरत है, यह तय करने की जरुरत है कि हर कोई समझे कि दूसरा पक्ष क्या सोच रहा है और सबसे ज्यादा हमें यह तय करना चाहिए कि हम ईरान को फिर से परमाणु सशस्त्रीकरण की राह पर नहीं भेजे क्योंकि अगर ईरान परमाणु शक्ति बनेगा तो उसके पड़ोसी भी परमाणु शक्ति बनना चाहेंगे।’
अमेरिका कर रहा है विमानों की तैनाती
सऊदी के ऊर्जा मंत्री खालिद अल फालिह ने बताया कि हमले में दो टैंकरों को काफी नुकसान पहुंचा है, लेकिन कोई घायल नहीं हुआ और न ही तेल फैला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएई के विशेष आर्थिक क्षेत्र में टैंकरों पर तोड़फोड़ की गई। हमले के समय यह जहाज अरब खाड़ी पार कर रहे थे। फालिह ने बताया कि एक टैंकर सऊदी ऑइल टर्मिनल से क्रूड ऑइल लोड करने जा रहा था, जिसे अमेरिका पहुंचाया जाना था।
ईरान की ओर से पैदा हुए कथित खतरे का मुकाबला करने के लिए फारस की खाड़ी में अमेरिका एक विमानवाहक पोत और बी-52 बमवर्षक विमानों की भी तैनाती कर रहा है।