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काबुल एयरपोर्ट के बाहर सीरियल ब्लास्टः तालिबान बोला- आतंकी हमला, ISIS पर जताया शक

काबुल एयरपोर्ट पर हुए सीरियल बम ब्लास्ट को तालिबान ने आतंकवादी हमला बताया है। अफगानिस्तान पर कब्जे के...
काबुल एयरपोर्ट के बाहर सीरियल ब्लास्टः तालिबान बोला- आतंकी हमला, ISIS पर जताया शक

काबुल एयरपोर्ट पर हुए सीरियल बम ब्लास्ट को तालिबान ने आतंकवादी हमला बताया है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद सरकार बनाने में जुटा तालिबान ने कहा कि उसने आईएसआईएस पर पहले ही हमले को लेकर शक जताया था। काबुल एयरपोर्ट के बाहर गुरुवार को हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 13 लोगों की मौत हुई है, जबकि खासी संख्या में लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि दूसरे घमाके में एयरपोर्ट के गेट के बाहर तैनात अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि इस हमले में अमेरिकी सैनिक भी घायल हुए हैं और हमले में आईएस का हाथ बताया है। इस बीच सभी विदेशी दूतावासों ने अपने नागरिकों को एयरपोर्ट से दूर रहने की सलाह दी है। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में अब नई जंग शुरू हो गई है।

कुछ दिन पहले ही तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर से आईएसआईएस के चार आतंकियों को पकड़ा था। ये आतंकी एयरपोर्ट के आसपास के इलाकों की रेकी कर रहे थे। इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पुख्ता जानकारी दी थी कि एयरपोर्ट के बाहर आईएसआईएस के आतंकी कभी भी हमला कर सकते हैं। वाइट हाउस ने भी कहा था कि अमेरिकी सैनिक जितने दिन काबुल एयरपोर्ट पर रुकेंगे, उनके ऊपर हमले के खतरा उतना ही ज्यादा रहेगा।

तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक दिन पहले ही दावा किया था कि अफगानिस्तान की धरती से इस्लामिक स्टेट का सफाया कर दिया गया है। माना जा रहा है कि आईएसआईएस ने आज के हमले से यह संदेश देने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान की धरती पर वह अभी भी एक बड़ी ताकत है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही आईएसआईएस चिढ़ा हुआ था। इस आतंकी समूह ने अपने समर्थन वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए तालिबान के खिलाफ बड़ा अभियान भी चलाया था। अपने पोस्ट के जरिए आईएसआईएस के ये समर्थक तालिबान की लगातार बुराई कर रहे हैं।

19 अगस्त को आईएसआईएस ने बयान जारी कर कहा था कि तालिबान अमेरिका का पिट्ठू है। इस्लामिक स्टेट ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ वो तालिबान नहीं, बल्कि अमेरिका की जीत है। क्योंकि तालिबान ने अमेरिका के साथ बातचीत कर इस सफलता को पाया है। आईएसआईएस के समर्थक तालिबान पर अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के साथ सुलह पर भी आक्रोश जताया है। आईएसआईएस शिया हजारा समुदाय को गैर इस्लामिक और विधर्मी बताता रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा आईएसआईएस से लग रहा है। अगर अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ता है तो इससे तालिबान का असर कम होगा। वहीं,  तालिबान अफगान धरती पर आईएसआईएस को रोककर दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश भी कर सकता है कि वह आतंकी संगठनों को अब पनाह नहीं दे रहा।

इस समय दुनिया में केवल तालिबान की ही चर्चा हो रही है। इससे आईएसआईएस को अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हो रहा है। डर को बेचने वाला यह आतंकी समूह हर हाल में तालिबान को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटा है। 1999 में स्थापित हुए आईएसआईएस को दुनिया ने 2014 के बाद से ही जानना शुरू किया। इससे पहले सीरिया, इराक या बाकी दूसरे देशों में इसका प्रभाव नहीं था।

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