आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल है। भारत-पाक रिश्ते में बेहतरी के लिए राजस्थान से लेकर कश्मीर तक कई कदम उठाए गए। दोनों ही देशों ने तनाव के माहौल को कम करने, दोनों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए कई सेवाओं शुरुआत की। भारत-पाकिस्तान ने नागरिकों के संपर्क को मजबूत बनाने के लिए रेलवे और बस सेवाओं की भी शुरुआत की। इन रेलवे और बस सेवाओं में थार एक्सप्रेस, समझौता एक्सप्रेस और लाहौर बस सेवा प्रमुख हैं। थार एक्सप्रेस दो देशों के बीच चलने वाली सबसे पुरानी रेल सेवा है।
आइए जानते हैं उन सभी रेल और बस सेवाओं के बारे में जिनकी शुरुआत दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए की गईं।
थार एक्सप्रेस
थार एक्सप्रेस एक अंतर्राष्ट्रीय रेलगाड़ी है जो पाकिस्तान में करांची एवं भारत में जोधपुर शहरों को आपस में जोड़ती है। मुनाबाओ एवं खोखरापार जो एक दूसरे से छह किलोमीटर दूर है क्रमश: भारत एवं पाकिस्तान में अंतिम सीमांत स्टेशन हैं। इन दो देशों के बीच चलने वाली ये सबसे पुरानी रेल सेवा है। यह रेल सेवा 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पटरियां क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण रोक दी गई थी जिसे 41 साल बाद 18 फरवरी 2006 को फिर से शुरु किया गया।
करांची पहुंचने से पहले यह रेल सेवा अपनी यात्रा के दौरान जमराव, सैंदद, पिथारू ढोरो नारो, छोरे एवं खोखरापार स्टेशनों से होकर गुजरती है। कस्टम से संबंधित कागजातों की जांच भारत में बाड़मेर एवं पाकिस्तान में मीरपुर खास स्टेशनों पर की जाती है। यह ट्रेन 329 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
समझौता एक्सप्रेस
भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली एक ‘समझौता एक्सप्रेस’ ट्रेन है। इस रेल सेवा की शुरुआत 22 जुलाई 1976 को शिमला समझौते के तहत शुरू की गई थी, जिसने दोनों देशों के बीच युद्ध को सुलझाया। इस ट्रेन में छह स्लीपर कोच और एक एसी 3-टियर कोच शामिल हैं।
फिलहाल पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के चलते पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को अगले आदेश तक रद्द कर दिया है।
जानें इस ट्रेन के मायने
समझौता एक्सप्रेस, जिसका नाम हिंदी शब्द के अनुसार ‘समझौते’ के लिए है। ये ट्रेन सप्ताह में दो दिन चलती है। थार एक्सप्रेस के दोबारा संचालन से पहले दोनों देशों के बीच चलने वाली यह एक मात्र ट्रेन थी। बता दें कि 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पटरियां क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण थार एक्सप्रेस रोक दी गई थी। इसका संचालन 41 साल बाद 18 फरवरी 2006 को फिर से शुरू किया गया। समझौता एक्सप्रेस की शुरुआत 22 जुलाई 1976 में हुई थी। शुरुआत में यह ट्रेन रोजाना चलती थी, लेकिन साल 1994 में इसका संचालन हफ्ते में दो दिन कर दिया गया। पहले ये ट्रेन संचालन के दिन ही भारत लौट आती थी, लेकिन अब यह अगले दिन लौटती है।
दिल्ली से अटारी तक ‘समझौता एक्सप्रेस’ का कोई स्टॉपेज नहीं
भारत में यह ट्रेन दिल्ली से पंजाब स्थित अटारी तक चलती है। ‘समझौता एक्सप्रेस’ सप्ताह में दो बार- बुधवार तथा रविवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रात 11.10 बजे चलती है। लाहौर से वापसी के समय यह ट्रेन भारत में सोमवार और गुरुवार को पहुंचती है।
दिल्ली से अटारी के बीच इस ट्रेन का कोई अन्य स्टॉपेज नहीं है। भारत की संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए हमले के बाद इस ट्रेन का संचालन बंद कर दिया गया था। हालांकि इसका संचालन 15 जनवरी 2004 को वापस शुरू किया गया। इसके बाद 27 दिसंबर 2007 को बेनजीर भुट्टो पर हुए हमले के बाद भी इस ट्रेन का संचालन रोका गया था। 8 अक्टूबर साल 2012 में दिल्ली आते वक्त वाघा बॉर्डर पर जांच के दौरान ट्रेन से 100 किलो हेरोइन और गोला बारूद जब्त किया गया था।
लाहौर बस सेवा
दिल्ली और लाहौर के बीच पहली बार सीधी बस सेवा ‘लाहौर बस सेवा’ 20 फरवरी 1999 को शुरु हुई थी जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत पाक सीमा पर एक बस से अटारी से वाघा तक का सफर किया था। भारतीय संसद पर 13 दिसंबर 2001 में हुए हमले के बाद यह सेवा बंद कर दी गई थी। भारत-पाक के बीच संबंध सामान्य बनाने की नई पहल के बाद भारत सरकार ने बस सेवा बहाल करने के संकेत दिए थे, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बस 1 जुलाई, 2003 से फिर शुरु करने की बात कही थी।
दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हमले के लिए भारत सरकार ने पाकिस्तान के एक चरमपंथी संगठन को दोषी ठहराते हुए ये सेवाएं बंद कर दी थीं। भारत ने अपने कूटनीतिक रिश्ते भी तोड़ लिए थे। प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अप्रैल में एक बार फिर पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार का नया सिलसिला शुरु हुआ है।
बस सेवा 'कारवां-ए-अमन'
जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों तरफ चलने वाली एक साप्ताहिक बस सेवा 'कारवां-ए-अमन' भी है। पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद यह बस सेवा बंद कर दी गई थी। लेकिन 25 फरवरी से यह बस सेवा दोबारा शुरू कर दी गई है। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हो गई थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच अप्रैल 2005 में 'कॉन्फिडेंस बिल्डिंग' के तहत यह बस सेवा सीमा के दोनों तरफ रहने वाले पारिवारिक लोगों को मिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया था। इस अभियान में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए थे।