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2013 से लेकर अब तक हजारों भारतीय अमेरिकी जेलों में कैद

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद माना जा रहा था कि भारत-अमेरिका के रिश्तों में सुधार आया है।...
2013 से लेकर अब तक हजारों भारतीय अमेरिकी जेलों में कैद

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद माना जा रहा था कि भारत-अमेरिका के रिश्तों में सुधार आया है। लेकिन अमेरिका में जिस तरह करीब 100 भारतीयों को हिरासत में लिया गया है, इससे तस्वीर उलट जान पड़ती है। 

अमेरिका में भारतीय मिशन ने दो आव्रजन हिरासतगाह से संपर्क साधा है, जहां करीब 100 भारतीय बंद हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब से हैं, जिन्हें देश की दक्षिणी सीमा से गैरकानूनी ढंग से प्रवेश करने की वजह से हिरासत में लिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत में स्थित संघीय हिरासतगाह में 40 से 45 भारतीय बंद हैं जबकि ऑरेगॉन की हिरासतगाह में 52 भारतीय बंद हैं। इनमें से ज्यादातर सिख और ईसाई हैं। भारतीय दूतावास ने एक बयान में बताया कि उसने दोनों हिरासतगाहों से संपर्क स्थापित किया है।

बयान में कहा गया, ‘वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी ऑरेगॉन की हिरासतगाह के दौरे पर गए थे जबकि दूसरे न्यू मैक्सिको के हिरासतगाह के दौरे पर जाएंगे। हम हालात पर नजर रख रहे हैं।’ इनमें से 12 से ज्यादा लोग न्यू मैक्सिको के केंद्र में कई महीनों से बंद हैं। बाकी भारतीयों को यहां लगभग एक हफ्ते पहले लाया गया था। इन केंद्रों में बंद ज्यादातर लोग शरण की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि उन्हें उनके गृह देश में ‘हिंसा या उत्पीड़न’ का सामना करना पड़ा है।

नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी असोसिएशन (नापा) के अध्यक्ष सतनाम सिंह चहल का मानना है कि हजारों भारतीय अमेरिका की जेलों में बंद हैं। इनमें से हजारों लोग अकेले पंजाब से ही हैं। नापा ने वर्ष 2013, 2014 और 2015 के बीच फ्रीडम ऑफ इन्फर्मेशन एक्ट (एफओआईए) के तहत प्राप्त सूचना के आधार पर बताया कि अमेरिकी सीमा पर 27,000 से अधिक भारतीयों को पकड़ा गया है। इनमें से 4,000 महिलाएं और 350 बच्चे हैं। इस कानून के तहत वर्ष 2015 में प्राप्त सूचना के मुताबिक देश में गैरकानूनी रूप से रहने के आरोप में 900 से अधिक भारतीय विभिन्न संघीय अदालतों में बंद हैं।

पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश में आए अवैध शरणार्थियों के परिवारों से उनके बच्चों को अलग रखने का ऐलान किया था। हालांकि, विरोध के बाद उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

चहल ने आरोप लगाया कि पंजाब में मानव तस्करों, अधिकारियों और राजनेताओं का गठजोड़ है जो युवा पंजाबियों को उकसाते हैं कि वह अपना घरबार छोड़कर गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में जाएं। इसके लिए वह प्रतिव्यक्ति 35 से 50 लाख रुपये वसूलते हैं। उन्होंने पंजाब सरकार से अनुरोध किया कि वह मानव तस्करी के कानून को कड़ाई से लागू करें। आव्रजन के मामले देखने वाली अधिवक्ता आकांक्षा कालरा के मुताबिक अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से प्रवेश करने वाले भारतीयों में सबसे ज्यादा पंजाब और गुजरात से होते हैं।

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