ब्रेग्जिट मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने संसद में विश्वास मत जीत लिया। कंजर्वेटिव पार्टी के कुल 317 सांसदों में से 200 ने उनके पक्ष में वोट दिए जबकि 117 मत उनके खिलाफ पड़े।हालांकि, थेरेसा मे को अपने एक तिहाई साथियों का सहयोग नहीं मिला। फिलहाल वह अपने पद पर बनी रह सकती हैं।
सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के 48 सांसदों ने अविश्वास पत्र दिया था जिसके बाद बुधवार को यह विश्वास मत कराया गया। थेरेसा मे ने नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर एक बयान में कहा, ‘मैं समर्थन के लिए आभारी हूं, मेरे कई सहयोगियों ने मेरे खिलाफ वोट दिया और उन्होंने जो कहा मैंने उसे सुना।'
अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने नेतृत्व के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव पर सांसदों से समर्थन मांगते हुए उनसे कहा कि उनकी 2022 के चुनाव से पहले पद छोड़ने की योजना है। बंद कमरे में हुई बैठक के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के सासंद एलेक शेलब्रुक ने मीडिया से कहा, 'उन्होंने कहा कि उनका 2022 के चुनाव में नेतृत्व करने का इरादा नहीं है।' वहीं, कैबिनेट मंत्री अंबेर रड ने इस बात की पुष्टि की कि मे ने अगले चुनाव में नहीं उतरने की बात कही।
एक तिहाई सांसद हैं मे के खिलाफ
मे के आलोचकों का कहना है कि एक तिहाई सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया है और यह बात उनके लिए चिंता का विषय हो सकती है। 48 सांसद मे के खिलाफ हैं और ये सांसद उनकी ब्रेग्जिट नीति से निराश हैं।
ब्रेक्जिट मुद्दे पर हुआ था जनमत संग्रह
ब्रिटेन में ब्रेक्जिट मुद्दे पर 23 जून, 2016 को जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें ब्रिटेन के मतदाताओं ने यूरोपीय यूनियन से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था। थेरेसा मे इस जनमत संग्रह के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री बनी थीं और 29 मार्च, 2017 को उन्होंने ब्रेक्जिट की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। थेरेसा की ब्रेक्जिट योजना की उनकी पार्टी के भीतर ही आलोचना हो रही है। यूरोपीय यूनियन के कानून के तहत ब्रिटेन को ठीक दो साल बाद यानी 29 मार्च 2019 को यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाना पड़ेगा।