भगोड़े शराब कारोबारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। माल्या लंदन की अदालत में दिवालियापन की कार्यवाही का सामना कर रहा है। यह मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और 12 दूसरे देनदारों ने 1.145 बिलियन यूरो को वसूलने के लिए दायर किया गया है।
ब्रिटेन की एक लॉ फर्म टीएलटी एलएलपी ने सोमवार को साफ किया कि 62 वर्षीय माल्या के खिलाफ दायर दिवाला प्रक्रिया मामला चलाने की उनकी याचिका लंदन के याचिका लंदन के हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस को स्थानांतरित की गई है। इस मामले पर सुनवाई 2019 की पहली छमाही में हो सकती है।
इसी लॉ फर्म ने इस साल की शुरूआत में स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले 13 बैंकों के समूह की ओर से माल्या के खिलाफ एक मामले में जीत दर्ज की थी। इनमें स्टेट बैंक के अलावा बैंक ऑफ बड़ोदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्रायवेट लिमिटेड है। ब्रिटेन में माल्या की करोड़ों रुपयों की संपत्ति पहले ही सीज की जा चुकी है।
प्रत्यर्पण पर अभी होने हैं हस्ताक्षर
माल्या के भारत प्रत्यर्पण का मामला अभी वहां लंबित है क्योंकि ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद ने अदालत के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। कुछ ही दिन में फिर अपील दायर की जाएगी, जिसके बाद गृह मंत्री अदालत के आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य हो जाएंगे
‘भगोड़ा’ घोषित होने का फैसला 26 को
मुंबई की विशेष अदालत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आवेदन पर 26 दिसंबर को आदेश देगी। उसमें ईडी ने विजय माल्या को ‘आर्थिक अपराधों का भगोड़ा’ घोषित किए जाने की मांग की है। ईडी ने उसकी संपत्तियां जब्त करने के लिए भी आदेश देने की अनुरोध अदालत से किया है। माल्या भगोड़ा घोषित होता है, तो ईडी को उसकी संपत्तियां जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा।