संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने आतंकवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूह प्रतिबंधों से बचने के लिए प्रतिबंध लगाने के नियमों का मजाक उड़ाते हैं और खुद को मानवीय संगठनों के रूप में पेश करते हैं।
'प्रतिबंधों से संबंधित सामान्य मुद्दे: उनके मानवीय और अनपेक्षित परिणामों की रोकथाम' पर परिषद के अध्यक्ष रूस द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में बोलते हुए, तिरुमूर्ति ने कहा कि मैंने प्रस्ताव 1267 के प्रतिबंधों सहित, प्रतिबंध व्यवस्थाओं का मजाक बनाते हुए खुद को मानवीय संगठनों के तौर पर पेश करने वाले आतंकवादी समूहों को रेखांकित किया।
तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों का हवाला देते हुए कहा, "हमारे पड़ोस में आतंकवादी समूहों के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें इस परिषद द्वारा सूचीबद्ध लोग भी शामिल हैं, जो इन प्रतिबंधों से बचने के लिए खुद को मानवीय संगठनों के रूप में फिर से ब्रांडेड कर रहे हैं।" जाहिर है कि तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन उनका निशाना परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर था।
उन्होंने कहा, "ये आतंकवादी संगठन, मानवता के नाम पर धन जुटाने, लड़ाकों की भर्ती करने और यहां तक कि मानव ढाल का उपयोग भी करते हैं। उनके अनुसार, मानवीय कवर की आड़ में, ये आतंकवादी समूह क्षेत्र और उसके बाहर अपनी आतंकी गतिविधियों का विस्तार करना जारी रखते हैं।"
गौरतलब है कि मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा की एक चैरिटी विंग फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन है। 2019 में, पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंकी समूहों पर लगाम लगाने के लिए तीव्र वैश्विक दबाव के बीच पाकिस्तान द्वारा इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। सईद को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत सूचीबद्ध किया गया था।
आपको बता दे कि भारत वर्तमान में सुरक्षा परिषद का दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है। तिरुमूर्ति 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति, लीबिया प्रतिबंध समिति और साथ ही आतंकवाद विरोधी समिति के अध्यक्ष हैं।