द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) के फसल पूर्वानुमान एवं खाद्य स्थिति रिपोर्ट में बुधवार को बताया गया कि इराक, सीरिया, यमन, सोमालिया और मध्य अफ्रीकी गणराज्य में संघर्षों के कारण कृषि उत्पादन पर भारी असर पड़ा है जिससे इन देशों के सामने एक मानवीय संकट खड़ा हो गया है। इसमें बताया गया है कि इन देशों के संघर्ष का प्रभाव इनके पड़ोसी देशों पर पड़ रहा है जहां पर शरणार्थियों को स्थान दिया जा रहा है और इससे उनके खाद्य संसाधनों पर भी दबाव पड़ रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य कांगो अफ्रीकी गणराज्य से विस्थापित हुए लगभग एक लाख शरणार्थियों से ही नहीं जूझ रहा है बल्कि उसके पूर्व में जारी संघर्ष जिससे लगभग 15 लाख विस्थापितों और अल नीनो की बाढ़ से प्रभावित लगभग 50,000 लोगों का भार भी उसी पर है। एफएओ ने कहा कि सूखे को अल नीनो से जोड़कर देखा जा सकता है जिसकी वजह से दक्षिण अफ्रीकी इलाकों में वर्ष 2016 में फसल उत्पादन में बड़ी गिरावट देखी गई है। अल नीनो के कारण मध्य अमेरिका और कैरेबियाई इलाकों में सूखे जैसे स्थिति लगातार तीसरे साल भी जारी है। सूखे के हालात की वजह से ही मोरक्को और अल्जीरिया में उम्मीद से कम खेती हुई है।
एफएओ ने यह भी चेतावनी दी है कि उत्तरी कोरिया में वर्ष 2015 में आए बाढ़ और सूखे की वजह से उपजाऊ मौसम में फसल उत्पादन में तीव्र गिरावट नजर आएगी। खाद्य सहायता चाहने वाले देशों की संख्या दिसंबर में 33 पहुंच गई थी और अल नीनो से प्रभावित स्विट्जरलैंड को जोड़ने के बाद यह संख्या 34 हो जाती है। इस सूची में शामिल अन्य देश, जिंबाब्वे, बुरकीना फासो, चाड, डिजिबोती, इरिट्रिआ, गिनी, लाइबेरिया, मालावी, माली, मॉरिटानिया, नाइजर, सिएरा लियोन, बुरूंडी, रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, केन्या, लेसोथो, मेडागास्कर, मोजांबिक, दक्षिण सूडान, सूडान, स्वाजीलैंड, युगांडा, अफगानिस्तान, म्यांमार और नेपाल हैं।