अब अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो चुका है। देश की स्थिति बहुत खराब हो गई है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखा जा रहा है। यूएनआईसीईएफ अफगानिस्तान के प्रतिनिधि हर्वे लुडोविक डी लिस ने बताया है कि लगभग एक करोड़ बच्चों को मानवीय सहायता की सख्त जरूरत हैं।
ये भी पढ़ें- 20 साल बाद अमेरिका ने छोड़ा अफगानिस्तान, संपूर्ण कब्जा के बाद बोला तालिबान- आजाद हुआ मुल्क, मनाया जश्न
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है, “मैंने देश भर में अकेले बच्चों की एक परेशान करने वाली रिपोर्टें सुनीं, जिसमें बताया गया कि बच्चों की आर्म्ड फोर्स में भर्तियां की जा रही हैं। यह सब एक साल में हुआ है, जिसमें 550 से ज्यादा बच्चे मारे गए हैं और 1400 से अधिक घायल हुए हैं।
कोरोना महामारी का संकट झेलने के बाद तालिबानियों के शासन की मार झेल रहे बच्चे असहाय हो गए हैं। उन्हें सरंक्षण और मदद देने वाली एजेंसियों ने भी तालिबान के खौफ से देश छोड़ दिया है, जिससे उनकी तकलीफें और समस्याएं बढ़ गई हैं।
यूएनआईसीईएफ ने आशंका जताई है कि यदि अफगानिस्तान के हालात ऐसा ही रहते हैं तो अगले कुछ सालों में कम उम्र के एक करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाएंगे। जॉर्ज लारिया ने कहा कि 40लाख बच्चों का स्कूल छूट गया है, इसमें बीस लाख के करीब लड़कियां हैं। बच्चों में काफी भय और डर है। ऐसे में उन्हें मेंटल हेल्थ सपोर्ट की जरूरत है।