द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर आज वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता करेंगी, जिसमें व्यापार बढ़ावा, सुरक्षा और रक्षा संबंधों पर मुख्य जोर रहेगा। दिल्ली हवाई अड्डे पर मर्केल की अगवानी वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने की। जर्मन चांसलर के साथ कई कैबिनेट मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों का बड़ा शिष्टमंडल भी आया है। उनके पहुंचने के शीघ्र बाद मोदी ने ट्वीट किया, नमस्ते चांसलर मर्केल, आपका और आपके शिष्टमंडल का गर्मजोशी से स्वागत है। मैं सार्थक चर्चा और भारत-जर्मनी संबंधों के मजबूत होने की आशा करता हूं।
कारोबार के लिहाज से जर्मनी का महत्व
मोदी और मार्केल के बीच होने वाली वार्ता द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा, नवीकरणीय उर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, कौशल विकास एवं प्रौद्योगिकी, रेलवे, जल और कूड़ा प्रबंधन, शहरी विकास तथा कृषि क्षेत्रा पर केंद्रित होने की संभावना है। भारत और जर्मनी 2001 से रणनीतिक साझेदार हैं। यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और भारत में सातवां बड़ा विदेशी निवेशक है। दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार पिछले साल करीब 15. 96 अरब यूरो का था जो 2013 में दर्ज किए गए 16.10 अरब यूरो के स्तर से 1.14 अरब यूरो कम है। भारत से जर्मनी को निर्यात आंशिक रूप से बढ़ा है। यह 2014 में 7.03 अरब यूरो था जबकि जर्मन से आयात पिछले साल के 9.19 अरब यूरो से घटकर 8.92 अरब यूरो हो गया है।
कई समझौतों की उम्मीद
मर्केल की यात्राा से पहले जर्मन राजदूत मार्टिन नेय ने कहा कि इस विचार-विमर्श से अहम नतीजे मिलने की उम्मीद है और दोनों देशों के बीच काफी संख्या में समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। जर्मन चांसलर का राष्ट्रपति भवन में परंपरागत स्वागत किया जाएगा। वह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने राजघाट भी जाएंगी। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले मोदी और मर्केल की बैठकें होंगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात करेंगी। मर्केल और मोदी छह अक्तूबर को बेंगलूर जाएंगे, जहां दोनों लोग एक कारोबारी कार्यक्रम में शरीक होंगे जिसकी मेजबानी नासकाॅम और फ्राॅनहोपर इंस्टीट्यूट कर रहा है।
चर्चा में आ सकता है जर्मन भाषा का मुद्दा
सूत्राें के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच व्यापक समझ के तहत भारत तीन भाषा की अपनी नीति को कायम रखते हुए जर्मन को अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाना जारी रखेगा जर्मनी अपने शैक्षणिक संस्थानों में संस्कृत सहित भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देेगा। केंद्रीय विद्यालय संगठन और गोथ इंस्टीट्यूट के बीच 2011 में हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के आधार पर केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन भाषा की पढ़ाई शुरू की गई थी। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में संस्कृत के विकल्प के रूप में जर्मन की पढ़ाई बंद करने का फैसला किया था और इस फैसले को राष्ट्रीय हित में बताया था।