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गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में मोदी के नहीं शामिल होने पर सवाल उठाना गलत: अंसारी

गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गैरमौजूदगी को तवज्जो नहीं देते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि भारत की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्रियों का सम्मेलन नहीं है और जो बात मायने रखती है, वह यह है कि भागीदारी की जाए।
गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में मोदी के नहीं शामिल होने पर सवाल उठाना गलत: अंसारी

वेनेजुएला के मार्गरिटा द्वीप पर आयोजित हो रहे इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की गैरमौजूदगी में उपराष्ट्रपति अंसारी गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। मोदी दूसरे ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। इससे पहले 1979 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इस शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं की थी। 17वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री के शामिल नहीं होने से भारत किस तरह का संदेश भेज रहा है, इस संबंध में पूछे जाने पर अंसारी ने कहा, भारत इसमें हिस्सा ले रहा है। गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्रियों का सम्मेलन नहीं है। अंसारी ने कहा, प्रधानमंत्री इनमें हिस्सा लेने के लिए जाते रहे हैं लेकिन ऐसे भी मौके आए हैं जब विभिन्न कारणों से प्रधानमंत्री वहां जाने में असमर्थ रहे हैं हालांकि भारत की भागीदारी बनी हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिखर सम्मेलन में भारत आतंकवाद के बारे में अपनी चिंताओं को मजबूती से उठाएगा क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मसले पर अपनी बात रखता रहा है।

अंसारी ने कहा, आतंकवाद ऐसा मसला है जो हर काम में बाधा उत्पन्न करता है। अगर हमारा लक्ष्य विकास है तो आतंकवाद इसमें बाधा उत्पन्न करता है। हमें शांति की जरूरत है, हमें सामाजिक शांति की आवश्यकता है, हमें अंतरराष्ट्रीय शांति की दरकार है। इन दोनों में ही आतंकवाद बाधा पहुंचा रहा है। यह आम नागरिकों को आतंकित कर रहा है और अगर आम लोग आतंकित होते हैं तो वे सामान्य काम में स्वयं को समर्पित नहीं कर सकते हैं, इनमें सबसे अहम विकास है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत-अमेरिका साझेदारी के मजबूत होने से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और क्या गुटनिरपेक्ष आंदोलन कम महत्वपूर्ण हो गया है, इस पर अंसारी ने कहा कि ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ है। उपराष्टपति ने इस बात पर जोर दिया कि गुट निरपेक्ष आंदोलन का क्रमिक विकास हो रहा है और समय के साथ इसे प्रासंगिक बनाने के लिए इसका अवश्य क्रमिक विकास जारी रहना चाहिए।

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