ब्राजील सरकार द्वारा बुधवार को 32.4 करोड़ डॉलर का कोवैक्सीन समझौता सस्पेंड होने के बाद भारत बायोटेक ने अपना बयान जारी किया है। जिसमें भारत बायोटेक ने सफाई दी है कि उसे कोई अग्रिम भुगतान नहीं मिला है और न ही कंपनी की ओर से वैक्सीन की सप्लाई की गई है।
कंपनी ने कहा है कि भारत से बाहर कोवैक्सीन की कीमत 15 से 20 डॉलर प्रति डोज है। ब्राजील को भी प्रति डोज 15 डॉलर का भुगतान करना था। कोवैक्सीन को ब्राजील, भारत, फिलिपींस, ईरान, मैक्सिको आदि सहित कुल 16 देशों में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। इसके साथ ही 50 देशों में इसको मंजूरी मिलने की प्रक्रिया चल रही है।
भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है कि ब्राजील द्वारा कोवैक्सीन की खरीद के मामले में 8 महीने की लंबी प्रक्रिया के दौरान अनुबंधों और विनियामक अनुमोदनों के लिए चरण-दर-चरण सभी नियमों का पालन किया गया है। ईयूए 4 जून को प्राप्त हुआ था। 29 जून तक हमें कोई अग्रिम भुगतान नहीं मिला है और न ही ब्राजील को टीकों की आपूर्ति की गई है।
एपी एजेंसी की खबर के अनुसार भारत बायोटेक ने वैक्सीन आपूर्ति के संबंध में किसी भी तरह की गड़बड़ी के किसी भी आरोप से इनकार किया है। एक ईमेल किए गए बयान में कहा कि यह अनुपालन के उच्चतम मानकों का पालन करता है। यह पूछे जाने पर कि सिंगापुर स्थित कंपनी के माध्यम से भुगतान क्यों किया जाएगा, कंपनी के प्रेस प्रतिनिधि ने कोई जवाब नहीं दिया।
वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार विह्सलब्लोअर्स ने राष्ट्रपति पर सार्वजनिक रूप से अनियमितता का आरोप लगाया था। इसके बाद कोवैक्सीन के दो करोड़ डोज का हुआ यह समझौता बोलसोनारो के लिए सिरदर्द बन गया। एजेंसी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को अपनी चिंताओं के बारे में सचेत कर दिया है।
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्री मार्सेलो किरोगा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी टीम निलंबन के दौरान लगे आरोपों की जांच करेगी। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीजीयू के प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, अनुबंध में कोई अनियमितता नहीं है, लेकिन अनुपालन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अनुबंध को निलंबित करने का फैसला किया है।