अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच देश में तालिबान की पकड़ मजबूत होती जा रही है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम में किसी भी प्रकार के परिवर्तन की संभावना से इनकार किया है। बाइडन ने 11 सितंबर तक युद्धग्रस्त देश से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आदेश दिया है। पेंटागन ने बताया कि अब तक वहां से 90 प्रतिशत से ज्यादा सैनिक स्वदेश लौट चुके हैं। वहीं तालिबान अफगानिस्तान के बड़े हिस्सों में काबिज होता जा रहा है।
व्हाइट हाउस में पत्रकारों ने बाइडन से पूछा कि सैनिकों की वापसी के मौजूदा कार्यक्रम में क्या कोई परिवर्तन आ सकता है, इस पर उन्होंने कहा, ‘नहीं’। बाइडन ने आगे कहा, ‘‘देखिए, हमने बीस साल से ज्यादा सालों में एक हजार अरब डॉलर से अधिक राशि खर्च की। अफगान बलों के 3,00,000 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया, साजो सामान दिया। अब अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा। हमारे हजारों सैनिक घायल हुए, हजारों मारे गए। उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी, अपने देश के लिए लड़नी होगी।’’
बाइडन ने आगे कहा, ‘‘हम अपने वादे पूरे करेंगे जैसे कि हवाई क्षेत्र में सहायता देना, यह देखना कि उनकी वायुसेना ठीक से काम करने में सक्षम हो, उनके बलों को भोजन और उपकरणों की आपूर्ति और उनके सभी वेतनों का भुगतान आदि। मगर उन्हें लड़ना होगा। उनकी तादाद तालिबान से अधिक है।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अफगान इस बात को मानने लगे हैं कि उन्हें शीर्ष स्तर पर एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मगर हम अपने वादे पूरे करते रहेंगे। मुझे अपने निर्णय पर कोई अफसोस नहीं है।’’
इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिका उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए अफगानिस्तान गया था जिन पर 11 सितंबर को हमला किया गया। वह उन दहशतगर्दों को तबाह करने गया था जो अमेरिका पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह बनाना चाह रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कुछ साल पहले इन लक्ष्यों को हासिल कर लिया।’’