इस बड़े साइबर अटैक का ब्रिटेन के स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी असर पड़ा है। साथ ही अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय कूरियर सर्विस FedEx को भी नुकसान पहुंचाया है।
कैसे आता है यह वायरस?
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि मालवेयर कंप्यूटर वायरस 'रैंसमवेयर' की चपेट में आकर कंप्यूटर प्रभावित हो रहे हैं। ये वायरस स्पैम ईमेल के जरिये जॉब ऑफर, इनवायसस, सेक्योरिटी वार्निंग्स और अन्य संबंधित फाइल्स के रूप में पहुंच रहा है।
मांगी जा रही फिरौती
जानकारी के मुताबिक इस वायरस का मक्सद फिरौती मांगना है। बताया जा रहा है कि एक बार इसकी वजह से कंप्यूटर के करप्ट होने के बाद इसको ठीक करने के लिए और फिर से एक्सस प्राप्त करने के लिए 300-600 डॉलर तक की फिरौती मांगी जा रही है। सुरक्षा शोधकर्ताओं के अनुसार कुछ पीडि़तों ने डिजिटल करेंसी बिटकॉइन के जरिये भुगतान भी किया है लेकिन उनको यह नहीं पता कि अब तक कितना भुगतान साइबर हमलावरों को दिया गया है। जो कंप्यूटर्स हैक हुए हैं उन्हें खोलने पर एक मैसेज दिखाई दे रहा है जिसमें कहा गया है कि यदि फाइल वापस पाना चाहते हो तो पैसे चुकाने होंगे।
वायरस का प्रभाव
ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत कई अन्य देशों में रेनसमवेयर साइबर हमलों की जानकारी आ रही है। बताया जा रहा है कि इस साइबर हमले के बाद कंप्यूटरों ने काम करना बंद कर दिया है। प्रभावित संगठनों ने कंप्यूटर्स के लॉक होने और बिटकॉइन की मांग करने वाले स्क्रीनशॉट्स साझा किए हैं। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस भी इस हमले से प्रभावित हुई है। साइबर सुरक्षा शोधकर्ता के मुताबिक़ बिटकॉइन मांगने के 36 हज़ार मामलों का पता चला है। ये वानाक्राइ या इससे मिलते-जुलते नाम से किए गए हैं। उन्होंने कहा, "ये बहुत बड़ा है।" समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक ब्रिटेन के कई अस्पतालों का कहना है कि उन्हें अपने कंप्यूटर खोलने में दिक्कतें हो रही है।
किसका हो सकता है हाथ?
इस बड़े साइबर अटैक के बाद अब सवाल उठ रहा है कि इस वाइरस को फैलाने में किसका हाथ हो सकता है। साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोग्राम को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने विकसित किया था। इसको चुराकर हैकरों ने इस तरह का बड़ा साइबर हमला किया है। साइबर विशेषज्ञ रिच बार्जर के मुताबिक यह अब तक का सबसे बड़ा रैंसमवेयर हमला है।