दरअसल, ब्रेग्जिट मसले को लेकर निर्धारित समय से 3 साल पहले चुनाव कराना कंजर्वेटिव पार्टी के लिए खतरनाक साबित होता दिख रहा है। इस चुनाव में टेरीजा मे को सत्ता खोनी पड़ सकती है, जबकि विपक्षी लेबर पार्टी दूसरे दलों के साथ मिलकर सत्ता में काबिज हो सकती है। इसमें किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। लिहाजा ब्रिटेन में एक बार फिर से त्रिशंकु संसद के हालात पैदा हो गए हैं।
एग्जिट पोल्स और शुरुआती नतीजों को देखते हुए लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन, थेरेसा मे से इस्तीफा मांग चुके हैं। थेरेसा मे ने ये चुनाव समय से पहले करवाए थे, ताकि वो संसद में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।
एग्जिट पोल में 650 सीटों में से लेबर पार्टी को 261 सीटें, कंजर्वेटिव पार्टी को 318, स्कॉटिश नेशनल पार्टी 35, लिबरल डेमोक्रेट्स को 12 सीटें मिलने की बात कही जा रही हैं। ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 650 में से 326 सीटें जीतना जरूरी है। हालांकि अभी तक 650 में से 597 सीटों के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। साल 2015 में हुए आम चुनावों के नतीजे 2015 के चुनावों में कंज़र्वेटिव पार्टी को 331, लेबर पार्टी को 232 सीटें, लिबरल डेमोक्रेट्स को 8 और एसएनपी को 56 सीटें मिली थीं।
गौरतलब है कि गुरुवार को ब्रिटेन की कुल 650 सीटों के लिए मतदान हुआ। इसके लिए 3,300 उम्मीदवार मैदान में थे। ब्रिटेन में करीब 4.58 करोड़ वोटर्स हैं। बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 326 सीटें जीतनी होती हैं। ब्रिटेन में ये चुनाव समय से तीन साल पहले कराए गए हैं। संसद का कार्यकाल पांच साल का होता है। ब्रिटेन में पिछला चुनाव साल 2015 में हुआ था। पिछले साल ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने (ब्रेक्जिट) को लेकर हुए जनमत संग्रह में जनता ने यूरोपीय संघ छोड़ने को बहुमत दिया था।