संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक बार फिर पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की। लेकिन, पाकिस्तान असफल रहा। उसकी एक बार फिर फजीहत हुई। यूनएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि बंद कमरे में हुई अनौपचारिक वार्ता में शामिल सभी देशों ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताया। कश्मीर को लेकर इन देशों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया। साथ ही परिषद ने कहा कि ये मुद्दा ऐसा नहीं है, जिसपर समय और ध्यान दिए जाने की जरूरत हो।
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गुरुवार को भारतीय राजनयिक ने कहा कि सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद चीन द्वारा यूएन में कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान की कोशिश एक बार फिर बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।
टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट करते हुए कहा, "पाकिस्तान द्वारा एक और प्रयास विफल हो गया! संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आज की अनौपचारिक बैठक में क्लोज कर दिया गया। इसे रिकॉर्ड नहीं किया गया और कोई परिणाम नहीं निकला। लगभग सभी देशों ने इस बात को इंगित किया कि जम्मू-कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और परिषद का समय एवं ध्यान देने योग्य नहीं है।"
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चीन पाकिस्तान का हर मौसम में साथ देने वाला मूल्क है। चीन ने सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की अपील की। बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था। जिसकी बुधवार को वर्षगांठ थी। विशेष दर्जा के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को लेकर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की असफल कोशिश कर रहा है।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से बताया है कि अनुच्छेद 370 का मामला इसका आंतरिक मामला था। पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने और सभी भारत विरोधी प्रचार को रोकने की सलाह दी।
बुधवार को न्यूयॉर्क में, संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी मिशन के प्रवक्ता ने कश्मीर पर सुरक्षा परिषद में हुई चर्चा को लेकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र में चीनी राजदूत झांग जून ने कहा कि "भारत और पाकिस्तान दोनों चीन के अनुकूल पड़ोसी और विकासशील देश हैं।"