यह युद्धपोत एंटी मिसाइल, एंटी शिपमेंट और एंटी-पनडुब्बी हथियारों से लैस है। माना जा रहा है कि इस युद्धपोत के आने से चीनी नौसेना काफी मजबूत हो जाएगी। चीन की योजना है कि जल्द ही इसके उपकरण संचालन और नौकायन सहित कई महत्वपूर्ण परीक्षण किये जाएं। गौरतलब है कि इस बड़े युद्धपोत के अलाव चीन दो और छोटे युद्धपोत और बना रहा है। माना जा रहा है कि ये दोनों युद्धपोत हिन्द महासागर में भारतीय चुनौती को देखते हुए बनाए जा रहें है। इन सबके साथ साथ चीन नौकाओं के छोटे-छोटे युद्ध समूह भी बना रहा है जो किनारों से दूर मिशनों पर पहुंचने वाले विमान वाहक पोतों के साथ रहेंगे। गौरतलब है कि चीन के सबसे पहले विमान वाहक पोत लिओनिंग अपने बेड़े के साथ 25 जून को पूर्वी चीन के क़िंगदाओ से अपने ट्रेनिंग मिशन पर निकला हुआ है। चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान में बताया गया है कि इस मिशन में विध्वंशक जिनान और यिनचुआन के साथ लड़ाकू विमान यंताई और जे -15 लड़ाकू विमानों के साथ हेलीकाप्टरों के एक स्क्वाड्रन तैनात है। चीन की कोशिश है कि इस तरह के प्रशिक्षण मिशनों से जहाजों में समन्वय को ज्यादा मजबूत किया जाए और विभिन्न समुद्री क्षेत्र में अपने चालक दल और पायलटों के कौशल में सुधार किया जाए। गौरतलब है कि लियानिंग सोवियत यूनियन के देश रहे यूक्रेन से खरीदा गया पुराना एयरक्राफ्ट करियर है जिसे चीन ने फिर से बनाया है। माना जा रहा है कि नया करियर का परिचालन 2019 से शुरू हो जाएगा।
चीन ने बनाया नई पीढ़ी का 10 हजार टन वजनी विध्वंशक युद्धपोत
चीन अब समुद्र में भी विश्व की महाशक्ति बनना चहाता है। इसके लिए वो बड़े पैमाने पर अपनी नौसेनिक क्षमता को बढ़ा रहा है। अब उसने नई पीढ़ी के 10 हजार टन वजनी विध्वंशक युद्धपोत का निर्माण शुरू किया है। घरेलू डिजाइन पर आधारित यह युद्धपोत शंघाई के जियांगन शिपयार्ड समूह में बनाया जा रहा है।
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