लद्दाख में भारत और चीन के जवानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने पर अमेरिका ने चीन की आलोचना की है। अमेरिकी राजनयिक ने चीन के आक्रामक रुख को भड़काऊ और परेशान करने वाला बताया है।
ताकत दिखाने की कोशिश करता है चीन
भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार लद्दाख के पानगोंग त्सो लेक और गुलवान घाटी के आसपास भारतीय और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। दोनों ओर के सैनिकों के बीच टकराव होने के बाद सेना का जमावड़ा बढ़ गया। अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की प्रमुख एलिस जी वेल्स ने अपनी विदाई से पहले कहा कि सीमा पर तनाव से हमें लगता है कि चीन का आक्रामक रुख हमेशा दिखावटी नहीं होता है। दक्षिण चीन सागर का मसला हो या फिर भारत के साथ सीमा विवाद हो, चीन का रुख भड़काऊ और परेशान करने वाला रहा है। चीन अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करता है। उन्होंने यह जवाब भारत-चीन सीमा पर हाल के तनाव के बारे में पूछे गए एक सवाल पर दिया। वेल्स ट्रंप प्रशासन के विदेश विभाग में महत्वपूर्ण दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो में तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद इस महीने के अंत में रिटायर हो रही हैं।
अवसरों का लाभ लेने के लिए दोस्ताना रुख अपनाए भारत
वेल्स ने वाशिंगटन में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत-अमेरिका के बीच अभी तक कारोबारी समझौता नहीं हो पाया है। लेकिन भारत को कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया में कारोबारी अवसरों का फायदा उठाने के लिए दोस्ताना रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ कारोबारी माहौल सुधारना चाहता है। उसे संरक्षणवादी रुख के बजाय दोस्ताना रुख अपनाना चाहिए। महामारी के बाद अमेरिकी कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को डायवर्सीफाई करना चाहती हैं। भारत के लिए यह सुनहरा अवसर है। इसका वह फायदा उठा सकता है।
पाक को आतंकियों के खिलाफ स्थायी कदम उठाने होंगे
वेल्स ने एटलांटिक काउंसिल के एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान को आंतकी समूहों को खत्म करने के लिए भरोसेमंद कदम उठाना चाहिए। पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ मुकदमे और सजा जैसे कदम उठाए हैं लेकिन ये आतंकियों के खिलाफ स्थायी उपाय नहीं हैं। पाकिस्तान को अपने यहां सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ स्थायी कदम उठाने चाहिए।