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जलवायु सम्‍मेलन: मोदी ने विकसित देशों को याद दिलाई जिम्‍मेदारी

पेरिस में चल रहे जलवायु सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत के कार्बन उत्‍सर्जन स्‍तर में 2005 के मुकाबले 33-35 फीसदी कटौती का ऐलान किया है। साथ ही उन्‍होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में किसी तरह की एकतरफा कारवाई से दुनिया आगाह करते हुए विकसित देशों को उनकी जिम्‍मेदारी याद दिलाई है।
जलवायु सम्‍मेलन: मोदी ने विकसित देशों को याद दिलाई जिम्‍मेदारी

जलवायु सम्‍मेलन में भारत विकासशील देशों की प्रमुख आवाज है और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए विकासशील देशों पर पाबंदियों के बजाय विकसित देशों की बड़ी भूमिका निभाने पर जोर देता रहा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को भी गिनाया। उन्होंने प्रमुखता के साथ बताया कि 2030 तक भारत कार्बन उत्सर्जन के स्तर में 2005 के स्तर से 33 से 35 फीसदी की कटौती करेगा तथा उसकी 40 फीसदी स्थापित क्षमता गैर जीवाश्म ईंधन से पूरी होगी। उन्होंने कहा, हम शहरों में और सार्वजनिक यातायात में बदलाव लाकर जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर रहे हैं।

जलवायु न्‍याय की मांग उठाई 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जलवायु न्‍याय का मुद्दा भी जारे-शोर से उठाया। जलवायु परिवर्तन से निपटने में आर्थिक बाधा डालने वाले किसी भी एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ भी उन्‍होंने दुनिया को आगाह किया। इस बात पर जोर दिया कि जलवायु न्याय की मांग है कि अभी भी जो थोड़ा-सा कार्बन स्पेस बचा है, उसके साथ विकासशील देशों के पास विकास के लिए पर्याप्त संभावनाएं होनी चाहिए। मोदी ने कहा, जो समृद्ध हैं उनके अभी भी व्यापक पैमाने पर कार्बन फुटप्रिंट हैं लेकिन विकास की सीढ़ी पर सबसे नीचे खड़े दुनिया के अरबों लोग उपर चढ़ने के लिए जगह तलाश रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उम्‍मीद जताई कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा अनुकूलन के लिए सालाना 100 अरब डालर की राशि जुटाएंगे और पारदर्शी तरीके से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे। 

विकसित देशों को याद दिलाई जिम्‍मेदारी 

पेरिस में चल रहे जलवायु सम्‍मेलन में दुनिया के 190 से अधिक देशों के वार्ताकार अगले कुछ दिनों में एक समझौते को आकार प्रदान करेंगे। इस समझौते के तहत विभिन्‍न देशों को कार्बन उत्‍सर्जन में कटौती के लिए बाध्‍य किया जा सकता है। इसके मद्देनजर मोदी ने कहा कि व्यापक कार्बन फुटप्रिंट वाले विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने की कमान संभालनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि विकसित देश महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करेंगे और उन्हें हासिल करेंगे क्योंकि उनमें प्रभावों को सहन करने की अधिक गुंजाइश है।

भारत की ऊर्जा जरूरतों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत को सवा अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना होगा जिनमें से 30 करोड़ लोगों की उर्जा तक पहुंच ही नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हमारे पास जिम्मेदारियों और क्षमताओं को संतुलित करते हुए एक सामूहिक भागीदारी का तानाबना बुनने का विवेक है तो हम सफल होंगे।

मोदी-ओलांद ने की सौर गठबंधन की शुरूआत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का शुभारंभ किया। भारत की पहल पर हुआ यह करार ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में मकर और कर्क रेखा के बीच स्थित लगभग सौ देशों को एकजुट करेगा जहां सौर ऊर्जा कम लागत में हासिल हो सकती है। इसके लिए भारत ने तीन करोड़ डालर की सहायता का भी वादा किया। इस गठबंधन का सचिवालय गुड़गांव में राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान के परिसरों में होगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का जो सपना मैंने लंबे समय से संजोया हुआ था, राष्ट्रपति ओलांद ने तुरंत आगे आकर उसका समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र इसे सफल बनाने के लिए काम करेगा।

 

 

 

 

 

 

 

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