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पीएम मोदी को मिला मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान, राष्ट्रपति अल-सीसी ने 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' से किया सम्मानित

अमेरिकी दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर शनिवार को मिस्र...
पीएम मोदी को मिला मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान, राष्ट्रपति अल-सीसी ने 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' से किया सम्मानित

अमेरिकी दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर शनिवार को मिस्र पहुंचे। यात्रा के दूसरे दिन यानी रविवार को उन्हें राजधानी काहिरा में मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान से नवाजा गया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने पीएम मोदी को 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' पुरस्कार से सम्मानित किया। 

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने द्विपक्षीय बैठक से पहले पीएम मोदी को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया।

 

वहीं, इससे पहले दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने काहिरा में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

 

बता दें कि 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान है। मिस्र के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय बैठक से पहले पीएम मोदी को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया। दोनों नेताओं ने अपनी मुलाकात के दौरान महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MOU) पर साइन किए।

इससे पहले यहां प्रधानमंत्री ने काहिरा में देश की 11वीं शताब्दी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया, जिसे भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से बहाल किया गया है।

गौरतलब है कि इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है। मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन मोदी मस्जिद पहुंचे जिसका जीर्णोद्धार करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है। मस्जिद में मुख्य रूप से जुमे (शुक्रवार) और दिन की सभी पांच ‘फर्ज़' नमाज होती हैं।

प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया। मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था। अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है। मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है। मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने पहले कहा था कि भारत में बस गए बोहरा समुदाय का संबंध फातिमिया से है। उन्होंने कहा था कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है।

गुप्ते ने कहा था, “ प्रधानमंत्री का बोहरा समुदाय से बहुत गहरा लगाव है जो कई सालों से गुजरात में भी हैं। यह उनके लिए बोहरा समुदाय के एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर फिर से जाने का अवसर होगा।” ऐतिहासिक मस्जिद का नामकरण 16वीं सदी के फातिमिया खलीफा के नाम अल हाकिम बामिर अल्लाह पर किया गया था और यह दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए अहम धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही दाऊदी बोहरा समुदाय से काफी पुराने और अच्छे रिश्ते हैं।

 

 

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