पिछले दो महीनों से फेसबुक और ट्विटर पर अपनी-अपनी कंटेंट पॉलिसी को लेकर बवाल हो रहा है। यह बवाल तब शुरू हुआ था जब अमेरिका राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप के एक ट्वीट को ट्विटर ने फैक्ट चेक करके उसे भ्रामक बता दिया, जबकि वही पोस्ट ट्रंप ने फेसबुक पर शेयर किया था लेकिन फेसबुक ने फैक्ट चेक नहीं किया। बाद में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने फैक्ट चेक के लिए ट्विटर की आलोचना की।वहीं अब फेसबुक ने कहा है कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पोस्ट सहित सभी नेताओं के ‘समाचार की श्रेणी’ में आने वाले उन सभी पोस्ट पर चेतावनी संकेत लगाएगा जो उसके नियमों के विपरीत होंगे।
दरअसल, फेसबुक पर नफरत फैलाने वाले भाषण और विभाजनकारी विमर्श का आरोप लगाते हुए बेन एंड जेरी तथा डोव जैसे ब्रांड देने वाली यूरोपीय कंपनी यूनिलीवर ने इस साल के अंत तक फेसबुक पर विज्ञापनों का बहिष्कार करने की घोषणा की थी जिससे फेसबुक के शेयर आठ फीसदी से अधिक गिर गए। इस कंपनी के बाद कोका कोला ने भी कम-से-कम 30 दिन तक फेसबुक के बहिष्कार की घोषणा की थी।
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने ट्रंप के कुछ विवादित पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि लोगों को नेताओं के जस के तस बयान सुनने का अधिकार है। इसके विपरीत ट्विटर ने इन बयानों पर चेतावनी संकेत लगाए थे।
ट्रंप के जिन पोस्ट पर ट्विटर ने चेतावनी संकेत लगाए हैं, शुक्रवार तक उन पर फेसबुक ने कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी ट्रंप के विरोधियों तथा फेसबुक के वर्तमान एवं पूर्व कर्मियों ने भी आलोचना की, लेकिन अब राष्ट्रपति अगर नियमों का उल्लंघन करने वाला कोई पोस्ट करेंगे तो फेसबुक उनसे आमना-सामना करने को तैयार है।
जुकरबर्ग ने अपने फेसबुक पेज पर नीतियों में बदलाव की घोषणा की। इसमें उन्होंने कहा, ‘‘जो नीतियां आज लागू कर रहे हैं, उनका उद्देश्य उन चुनौतियों से निपटना है जिनका आज हमारा देश सामना कर रहा है।’’ जुकरबर्ग ने कहा कि सोशल नेटवर्क चुनाव संबंधी भ्रामक जानकारी से निपटने के लिए अतिरिक्त कदम उठा रहा है। इसमें कहा गया कि फेसबुक मतदान के लिए हतोत्साहित करने वाले गलत दावों पर भी पाबंदी लगाएगा।