संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि स्कूल जाने की आयु वाले 37 लाख शरणार्थी बच्चों के पास स्कूल ही नहीं है, जहां वह पढ़ सकें। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी प्रमुख फिलिप्पो ग्रांडी ने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने की अपील करते हुए एक बयान में कहा, यह लाखों शरणार्थी बच्चों के संकट को दर्शाता है। ग्रांडी का बयान ऐसे समय में आया है जब शरणार्थियों एवं प्रवासियों पर संयुक्त राष्ट्र का पहला शिखर सम्मेलन न्यूयार्क में 19 सितंबर को होने वाला है। उन्होंने शरणार्थियों के औसतन करीब 20 साल के लिए विस्थापित होने का जिक्र करते हुए कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात पर विचार कर रहा है कि शरणार्थी संकट से किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ तरीके से निपटा जा सकता है, ऐसे में यह आवश्यक है कि हम जीवन के लिए बुनियादी जरूरतों से आगे सोचें।
ग्रांडी ने कहा, शिक्षा शरणार्थियों को उन दोनों देशों के भविष्य को सकारात्मक आकार देने में सक्षम बनाती है जहां वे शरणार्थी बन कर रह रहे हैं और जो उनका मूल देश है जहां वे एक दिन लौटेंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के मात्र 50 प्रतिशत शरणार्थी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मिल पाती है। शरणार्थी बन कर रह रहे मात्र 22 प्रतिशत किशोर ही माध्यमिक स्कूल जाते हैं।