अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह और 37 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे रॉबर्ट मुगाबे का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। 95 साल की उम्र में मुगाबे ने सिंगापुर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति एममरसन डंबुडो म्नांगगवा ने ट्विटर पर इस खबर की पुष्टि की। बताया जा रहा है कि मुगाबे अप्रैल से बीमार थे और तभी से उनका इलाज चल रहा था।
राष्ट्रपति एममरसन डंबुडो म्नांगगवा ने लिखा कि यह अत्यंत दुख के साथ बता रहा हूं कि जिम्बाब्वे के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रपति, केडी रॉबर्ट मुगाबे के निधन हो गया है। मुगाबे मुक्ति के प्रतीक थे, वह एक पैन-अफ्रीकी थे जिन्होंने अपने लोगों की मुक्ति और सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित किया। हमारे राष्ट्र और महाद्वीप के इतिहास में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले।
सैन्य तख्तापलट के कारण 2017 में मुगाबे को देना पड़ा था इस्तीफा
मुगाबे को सैन्य तख्तापलट के कारण 2017 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 1980 में श्वेत अल्पसंख्यक शासन की समाप्ति के बाद पूर्व छापामार प्रमुख मुगाबे ने सत्ता संभाली थी। जानकारी के मुताबिक, मुगाबे ने इस्तीफे के बाद अपना पहला जन्मदिन 21 फरवरी, 2018 को एकांत में ही मनाया था जबकि पिछले कुछ साल से वह इस अवसर पर भव्य आयोजन करते थे।
सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तानाशाह के रूप में थे मशहूर
मुगाबे दुनिया भर में लंबे समय तक सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तानाशाह के रूप में मशहूर थे। ब्रिटेन शासन से आजादी की लड़ाई लड़ने वाले मुगाबे 1980 में मिली स्वतंत्रता के बाद वहां की सत्ता पर काबिज हुए। मुगाबे 1980 से 1987 तक प्रधानमंत्री और 1987 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे थे। मुगाबे करीब 37 साल तक जिम्बाब्वे की सत्ता पर काबिज रहे। 2017 में फौज के विद्रोह के बाद मुगाबे ने सत्ता छोड़ दी थी।
विवादों से भी रहा नाता
गौरतलब है कि मुगाबे लंबे समय तक अपने देश और पूरे महाद्वीप के लिए अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते रहे। उन्होंने जिम्बाब्वे से अंग्रेजों के शासन का अंत करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने देश में ही नहीं पूरे अफ्रीका महाद्वीप में संघर्ष किया। हालांकि रॉबर्ट मुगाबे का लंबा कार्यकाल विवादों से भी भरा रहा। उनके तानाशाही पूर्ण रवैय्ये का असर देश की अर्थव्यवस्था के साथ दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ा।