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वह उबर रहा है, छोटी छोटी चीजें खुशियां देती हैं : रिहा हुए इजराइली-अमेरिकी बंधक के माता-पिता

गाजा में हमास की 19 महीने की कैद से रिहा होने वाले इजराइली-अमेरिकी सैनिक एडन अलेक्जेंडर के परिवार के लिए...
वह उबर रहा है, छोटी छोटी चीजें खुशियां देती हैं : रिहा हुए इजराइली-अमेरिकी बंधक के माता-पिता

गाजा में हमास की 19 महीने की कैद से रिहा होने वाले इजराइली-अमेरिकी सैनिक एडन अलेक्जेंडर के परिवार के लिए यह मानो सबसे बड़ी खुशी का पल था जब उन्होंने अलेक्जेंडर को जीवित अपने पास देखा।

हालांकि बंधक बनाए जाने का अलेक्जेंडर के मन-मस्तिष्क पर इतना गहरा असर था कि रिहा होने के बाद वह दो दिनों तक कुछ भी नहीं खा पाए।

हमास के आतंकवादियों द्वारा पकड़े जाने के दौरान कई बार भूखे रहे अलेक्जेंडर की मानो भूख मिट गई थी। जब मां के दिए खाने को उन्होंने खाया तो उनके परिवार के लिए खुशी का ठिकाना नहीं रहा।।

हमास ने अलेंक्जेंडर की रिहाई को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पश्चिम एशिया की यात्रा से पहले एक सद्भावना संकेत के तौर पर पेश किया। अलेक्जेंडर गाजा में अंतिम जीवित बचे बंधक थे जिसे हमास ने रिहा किया है। हमास को उम्मीद थी कि इस रिहाई के बाद युद्धविराम वार्ता फिर से शुरू हो जाएगी। इसके बजाय, इजराइल ने कुछ दिनों बाद एक नया आक्रमण शुरू कर दिया, जिससे शेष बंधकों के परिवारों को डर है कि उनके प्रियजनों को गंभीर खतरा हो सकता है।

अलेक्जेंडर के पिता ने सोमवार को इजराइल की घोषणा से कुछ हद तक राहत की सांस ली कि ढाई महीनों में पहली बार गाजा में कुछ सहायता भेजी जा रही है।

एडन अलेक्जेंडर ने कहा, ‘‘यह पहला कदम है, इसलिए उम्मीद है कि हम एक और युद्धविराम, अधिक लोगों की रिहाई और इस संघर्ष का अंत देखेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बहुत लंबा समय हो गया है। अब और नहीं। आप दर्द का इलाज और अधिक दर्द से नहीं कर सकते। अब बस, बहुत हो गया।’’

उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से ‘‘मानव जीवन को प्राथमिकता देने के लिए राजनीति से ऊपर उठने’’ का आग्रह किया।

कुल 584 दिन बंधक के तौर पर बिताने वाले अलेक्जेंडर ने अपने अभिभावकों को बताया कि उसे गाजा में घसीट कर ले जाया गया और एक सुरंग में धकेल दिया गया। वहां कई घंटे वह अकेला पड़ा रहा और बाद में दस बंधकों को वहां लाया गया।

अलेक्जेंडर के अनुसार, उसे ज्यादातर समय भूमिगत ही रखा गया और अन्य बंधकों के साथ उसे अक्सर दूसरी सुरंगों में ले जाया जाता था। इस दौरान खाना बहुत ही कम मिलता था, दिन की रोशनी कभी-कभार ही देख पाते थे और खुली हवा में सांस लेना तो सपना था।

अपने अभिभावकों को अलेक्जेंडर ने बताया कि शुरू में अन्य बंधकों की तरह उसके भी हाथ बांध दिए गए थे और कभी कभी सिर को मोटे कपड़े से ढक दिया जाता था। उससे पूछताछ की जाती थी।

अपहरण के पहले छह फुट लंबे अलेक्जेंडर का वजह 80 किग्रा से अधिक था जो अब 60 किग्रा के आसपास है।

 

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