अफगानिस्तान में तालिबान फिर से सिर उठा रहा है और ऐसे समय में क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने, देश के जटिल सुरक्षा परिदृश्य को बेहतर बनाने और युद्ध से जर्जर देश को फिर से खड़े होने में मदद करने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतों का यह सम्मेलन इस पवित्र शहर में आज प्रारंभ हुआ। हार्ट ऑफ एशिया - इस्तांबुल प्रक्रिया के वार्षिक सम्मेलन में करीब 40 देशों समेत यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख समूह संकट से घिरे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया बहाली समेत देश से जुड़ी कई समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं। रविवार को इन देशों का मंत्री स्तरीय सम्मेलन होगा जिसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी संयुक्त रूप से करेंगे।
वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण और मध्य एशियाई देशों के साथ अफगानिस्तान का संपर्क बेहतर करने पर चर्चा हो रही है। भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई बैठक की संयुक्त अध्यक्षता कर रहे हैं। बैठक में कल के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के मसौदों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और साथ ही इसके घोषणापत्र पर भी चर्चा की जा रही है, जिसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद से संबंधित होगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज रविवार को मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इस्लामाबाद का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस वार्षिक सम्मेलन का आयोजन नगरोटा सैन्य शिविर पर आतंकी हमले और भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े हुए तनाव की पृष्ठभूमि में हो रहा है और इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि सम्मेलन के इतर भारत-पाक के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होगी। (एजेंसी)