संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सार्वभौमिक सामयिक समीक्षा की प्रक्रिया के तहत चार मई को जिनेवा में भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड की तीसरी समीक्षा करेगा। इससे पहले ह्यूमन राइट्स वॉच ने भारत सरकार की ओर से किए जा रहे एनजीओ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को दबाने के नियमों के दुरूपयोग को रेखांकित किया था।
दक्षिण एशिया में ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की समीक्षा एक ऐसे समय पर होने जा रही है, जब भारत में लंबे समय से चली आ रही स्वतंत्रता के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हैं और आलोचकों पर लगातार हमले बोले जा रहे हैं।”
गांगुली ने कहा, संयुक्त राष्ट के सदस्य देशों को इस बात पर खतरे की घंटी बजा देनी चाहिए कि भारत का गरीबों और कमजोरों की सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण विरोध के प्रति सम्मान का गौरवांवित इतिहास रहा है।