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भारत की कार्रवाई के साथ पेरिस समझौते की ओर बढ़ी दुनिया : मून

संयुक्त राष्‍ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा है कि पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर भारत के अनुमोदन ने दुनिया को इस साल लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ाया है। संयुक्त राष्‍ट्र महासचिव ने कहा कि भारत दो अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते पर अनुमोदन पत्र देगा और गांधीजी को तथा लोगों एवं धरती के लिए उनकी विरासत को याद करने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता।
भारत की कार्रवाई के साथ पेरिस समझौते की ओर बढ़ी दुनिया : मून

बान ने दो अक्तूबर को मनाये जाने वाले अंतररााष्‍ट्रीय अहिंसा दिवस के अपने संदेश में कहा, मैं जलवायु नेतृत्व के लिए और समझौते को इस साल यथासंभव जल्द लागू करने के लिहाज से दुनियाभर में बन रहे मजबूत माहौल का निर्माण करने के लिए भारत को गर्मजोशी से बधाई देता हूं। भारत के अनुमोदन ने दुनिया को इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ाया है और उसके नजदीक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि हर साल अंतरराष्‍ट्रीय अहिंसा दिवस पर संयुक्त राष्ट शांति के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराता है जैसा कि 147 साल पहले इस दिन जन्मे महात्मा गांधी के जीवन में झलकती है। बान ने कहा, गांधी जी ने हमें याद दिलाया कि पृथ्वी सभी की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त देती है लेकिन किसी के लालच के हिसाब से नहीं।

उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि अहिंसा की संस्कृति दूसरों के सम्मान के साथ शुरू होती है लेकिन यह वहां खत्म नहीं होती। शांति के लिए हमें प्रकृति का सम्मान करना होगा। मुझे खुशी है कि इस साल का अंतराष्‍ट्रीय अहिंसा दिवस निरंतरता पर और पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। बान ने सभी देशों से समझौते पर अनुमोदन के लिए अपनी घरेलू प्रक्रियाओं को पूरा करने का आग्रह किया।

संयुक्त राष्‍ट्र महासचिव के टिकाउ विकास के एजेंडा पर विशेष सलाहकार डेविड नाबारो ने भी कहा कि जलवायु परिवर्तन पर एेतिहासिक पेरिस समझौता प्रभाव में आने के करीब है क्योंकि दुनिया का चार प्रतिशत से अधिक उत्सर्जन करने वाले भारत ने इस सप्ताह के अंत में अनुमोदन देने का निर्णय लिया है। अप्रैल में इस समझौते पर दुनिया के नेताओं ने दस्तखत किये थे। इस समझौते में देशों से जलवायु परिवर्तन से लड़ने का और कार्बन कटौती वाले टिकाउ भविष्य के लिए जरूरी कार्रवाई तेज करने का आवान किया गया है। इसमें वैश्विक तापमान वृद्धि की सीमा को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक लाने की बात कही गयी है। भाषा एजेंसी 

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