डोकलाम विवाद के बाद भारत और चीन के बीच पहली बार सीमा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई है। डोकलाम में दोनों देशों के बीच करीब ढाई महीने चला गतिरोध अगस्त के अंत में समाप्त हुआ था। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा और चीन के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक श्याओ कियान के बीच शुक्रवार को बीजिंग में यह बातचीत हुई।
भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श एवं समन्वय के कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) का 10वां दौर बीजिंग में आयोजित हुआ। दोनों देशों के अधिकारियों ने सीमा के सभी सेक्टरों में हालात की समीक्षा की और सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने विश्वास बहाली उपायों एवं दोनों देशों के सैन्य संपर्कों को मजबूत करने को लेकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना साल 2012 में सीमा पर बार-बार होने वाली घुसपैठ से पैदा होने वाले तनाव से निपटने और सीमा सुरक्षा कर्मियों के बीच संवाद सहित संचार एवं सहयोग को मजबूत करने को लेकर विचारों के आदान-प्रदान के लिए इसकी स्थापना हुई थी। भारत-चीन सीमा विवाद के दायरे में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कह कर उस पर अपना दावा ठोंकता है, जबकि भारत का कहना है अक्साई चिन का इलाका इस विवाद के दायरे में है। साल 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने अक्साई चिन इलाके पर कब्जा कर लिया था।
यह वार्ता चीन के विदेश मंत्री वांग यी के अगले महीने होने वाले भारत दौरे से पहले हुई है। वह नई दिल्ली में होने वाले रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए यहां आने वाले हैं। अगले महीने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जियेची के बीच नई दिल्ली में बातचीत होने की भी उम्मीद है।