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जापान से सीखे भारत

हिंदुस्तान और बाकी दुनिया के लिए यह खबर आंखें खोलने वाली है। हम अभी भी पेट्रोल, डीजल या गैस आधारित कारों के अंधाधुंध उत्पादन को ही विकास का पैमाना मान रहे हैँ जबकि भारत में इन कारों के सबसे बड़ी उत्पादक कंपनियां अपने देश में पर्यावरण अनुकूल कारों का उत्पादन लगातार बढ़ा रही हैं।
जापान से सीखे भारत

 इसी का नतीजा है कि जापान में गैस स्टेशन से ज्यादा इलेक्ट्रिक कार के चार्जिंग प्वाइंट हो गए हैं। जापान की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी निसान मोटर्स के अनुसार इलेक्ट्रिक कार के लिए देश भर में अब 40 हजार चार्जिंग प्वाइंट्स हैं जबकि पेट्रोल स्टेशनों की तादाद 34 हजार है। इनमें वे चार्जिंग प्वाइंट्स भी शामिल हैं जो लोगों के घरों के अंदर हैं। बहरहाल, गैस स्टेशनों में एक से ज्यादा पंप हैं और वे बहुत ज्यादा कारों को सेवा दे सकते हैं। इस तरह ये आंकड़े जापान में पर्यावरणोन्मुखी कार के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयासों को रेखांकित करते हैं। जापान लंबे समय से इस क्षेत्र में विश्व में अगुआ रहा है।

निसान के अनुसार देश में इलेक्ट्रिक कार की मांग बढ़ रही है जबकि उसकी प्रतिस्पर्धी कार निर्माता कंपनी टोयोटा का कहना है कि उसने आम आदमी के इस्तेमाल के लिए जो हाइड्रोजन ईंधन पर आधारित कार मिराइ सेडान उतारी है उसके लिए ऑर्डर का सैलाब आ गया है। ऐसी कार को पर्यावरणोन्मुखी कार के हिसाब से आदर्श माना जाता है। ऐसी कारें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच की रासायनिक प्रतिक्रिया से ऊर्जा हासिल करती हैं और इसके एग्जहास्ट में पानी के अलावा कोई हानिकारक रसायन नहीं निकलता।

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