भारत यात्रा पर आए इस्राइल के राष्ट्रपति रियुवेन रिवलिन के सम्मान में मंगलवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित स्वागत-समारोह में मुखर्जी ने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय को समन्वित कार्रवाई करनी होगी। करीब 20 साल बाद हो रही इस्राइली राष्ट्रपति की यात्रा को ऐतिहासिक करार देते हुए मुखर्जी ने कहा कि रिवलिन उन लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनकी भारतीय प्रशंसा करते हैं, जिनके साथ भारतीय मजबूत और विशेष संबंधों का अनुभव करते हैं क्योंकि दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं जिसने मानवता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुखर्जी ने कहा, जलवायु परिवर्तन समेत वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए हमें क्षमतावान समाधानों के लिए मिलकर काम करना होगा। हमें अपने बच्चों के लिए एक ऐसी दुनिया छोड़नी चाहिए जो बेहतर, साफ और स्वस्थ हो। एक ऐसी दुनिया जहां शांति हो, जहां विविध तरह के लोग रहते हैं। मुझे विश्वास है कि भारत और इस्राइल इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि दोनों देश अगले साल कूटनीतिक रिश्तों के 25 वर्ष पूरे करेंगे, ऐसे में भारत आपसी लाभ के लिए तथा दुनिया की भलाई के लिए साझेदारी को और प्रगाढ़ करने को आशान्वित है। इस्राइल की कुशलता की तारीफ करते हुए मुखर्जी ने कहा, आपके अतीत और वर्तमान के नेतृत्व ने आप लोगों को बयां नहीं की जा सकने वाली विपत्तियों से उबरने और मजबूत होकर उभरने की प्रेरणा दी है। कठिन परिश्रम और दृढ़संकल्प से आपने अत्यंत प्रगतिशील, आत्मविश्वास वाला और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया है। मुखर्जी ने कहा, हमारी दोनों की जनता ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद आजादी हासिल की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मानते थे कि यहूदियों का इस्राइल पर वैध दावा है। पंडित नेहरू भी इसे मानते थे। उन्होंने 1950 में कहा था और मैं उनकी कही बात उद्धृत करता हूं, इस्राइल एक वास्तविकता है।