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अमेरिका नहीं, यह मुस्लिम देश करा रहा है भारत- पाक की दोस्ती, इस फायदे पर है नजर

भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती पर जमी बर्फ अब फिर से पिघलनी शुरू हो गई हैं। इसमें अब महत्वपूर्ण भूमिका...
अमेरिका नहीं, यह मुस्लिम देश करा रहा है भारत- पाक की दोस्ती, इस फायदे पर है नजर

भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती पर जमी बर्फ अब फिर से पिघलनी शुरू हो गई हैं। इसमें अब महत्वपूर्ण भूमिका मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) निभा रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीने 26 फरवरी की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात की आधिकारिक रिपोर्ट में विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ बातचीत में कुछ संकेत दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने "सामान्य हित के सभी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की और विचारों को साझा किया।" 

रिपोर्ट के मुताबिक  बंद दरवाजों के पीछे हुई इस बातचीत में भारत और पाकिस्तान के संबंध को लेकर भी चर्चा हुई। दोनों के बीच पाक की तरफ से सीजफायर को लेकर यूएई की मध्यस्थता एक तरह से मील का पत्थर साबित हुई, जो महीनों पहले शुरू हुई थी। अधिकारियों ने दावा किया कि संघर्ष विराम दोनों परमाणु हथियारों से युक्त पड़ोसियों के बीच स्थायी शांति के रोडमैप की एक शुरूआत है। 

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इससे पहले कई बार अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान और भारत की दोस्ती को लेकर बयान आते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सीमा विवाद मामले पर भी यूएस के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मदद करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए दखल देने से इंकार कर दिया था। दूसरी तरफ देखें तो हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की भारत की यात्रा भी इसके पीछे एक वजह हो सकती है। डिप्लोमैट्स का मानना है कि पाकिस्तान के बदले रवैये की एक बड़ी वजह पाकिस्तान की आर्थिक तंगी भी  हो सकती है। लेकिन, भारत और पाकिस्तान की दोस्ती को लेकर यूएई क्यों आगे आ रहा है। इसके अलावा भारत के साथ भी व्यापारिक संबंधी काफी मजबूत हो रहे हैं। और भारत उसके लिए पोस्ट ऑयल इकोनॉमी में एक बड़ा बाजार भी साबित हो सकता है।

रिपोर्ट मुताबिक यूएई की नजर भारत-पाक के अगले कदम पर है। ये भी कहा गया है कि, “इस प्रक्रिया के अगले चरण में नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजदूतों के बहाल करने वाले कदम का भी प्रस्ताव रखा गया है।“ लेकिन, सवाल उठता है कि क्या भारत और पाकिस्तान, दोनों इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। यूएई अपने हार्ड पावर और सॉफ्ट पॉवर, दोनों के लिए जाना जाता है। यूएई का भारत और पाकिस्‍तान के साथ व्‍यापारिक और राजनयिक संबंध रहा है। वह एशिया में  राजनीतिक और वैश्विक व्यापार में संबंध बनाने में लगा हुआ हैं। यूएई के लिए ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि, 80 प्रतिशत से अधिक आबादी विदेशी श्रमिक हैं। जिसमें से एक बड़ी तादाद भारत और पाकिस्तान के लोगों की है। अगर इन दोनों देशों में शांति होती है, तो उसका सीधा फायदा यूएई को मिलेगा।  साथ ही, यूएई एक ओर बढ़ते कट्टरवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने में लगा हुआ है वहीं, अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने के लिए काफी खर्च किया है। ऐसे में उसे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एशिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक भारत और पाकिस्तान के बाजार की बेहद जरूरत है। और शांति होने पर ही निवेश करना फायदेमंद सौदा होगा।

 

सुधार के ये हैं संकेत

पाकिस्तान के सुर पिछले कई दिनों से भारत को लेकर बदलते दिखाई दे रहे हैं। सीमा पर तनाव कम करने को लेकर हुई डायरेक्‍टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) की बातचीत के अलावा दोनों देशों के बीच रिश्ते को लेकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने भी पिछले दिनों बयान दिया था। साथ ही सिंधु जल विवाद सुलझाने के लिए भी दोनों देशों के बीच वार्ता हो रही है। इसको लेकर पीएम मोदी भी एक कदम आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को पत्र लिख कर पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस की बधाई दी और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध की उम्मीद भी जताई।   

 

 

 

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