इस सहमति का स्वागत करते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इस समझौते के साथ ही प्रतीत होता है कि एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम उठा लिया गया है, जो कि 30 जून तक किए जाने वाले समग्र समझौते के मानकों के अनुरूप है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, भारत ने हमेशा कहा है कि परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के ईरान के अधिकार का सम्मान करते हुए, ईरानी परमाणु मुद्दे को, शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए क्योंकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी गहरा हित निहित है।
कल की घोषणा को कूटनीति एवं वार्ता की सफलता के रूप में रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा से इसका समर्थन किया है और वह उम्मीद करता है कि इससे 30 जून तक एक समग्र समझौता हो सकेगा।
स्विटजरलैंड में लंबी वार्ताओं के बाद ईरान और छह वैश्विक शक्तियों के बीच कल रात ऐतिहासिक संधि की रूपरेखा पर सहमति बनी, जिसका उद्देश्य तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण लगाना है। यह सहमति 12 साल के अवरोध के बाद मिली एक बड़ी उपलब्धि है।
ईरान एवं पश्चिमी देशों के बीच का यह मसौदा यह उम्मीद जताता है कि यह संधि मध्यपूर्व में स्थिरता लाने में मदद कर सकती है।
ईरान दंडात्मक प्रतिबंध हटाए जाने के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए राजी हो गया है।