दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एनएसजी की पांच दिवसीय वार्षिक बैठक चल रही है, वहीं दूसरी ओर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि एनएसजी में भारत के शामिल होने का मुद्दा बैठक के एजेंडे में नहीं है। हुआ ने कहा, हम समझते हैं कि गैर-एनपीटी देश एनएसजी में अपने प्रवेश को लेकर चिंतित हैं। लेकिन चूंकि एनएसजी में अभी भी इस मुद्दे पर मतभेद बना हुआ है, ऐसे में सोल में वार्षिक बैठक के दौरान उनके प्रवेश के मुद्दे पर चर्चा करना बहुत परिपक्व नहीं होगा। हुआ ने कहा, चीन का मानना है कि एनएसजी को गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के संबंध में विस्तृत चर्चा करनी चाहिए ताकि समझौते पर आधारित फैसला हो। इसको लेकर सभी पक्षों ने सहमति भी जताई है। यह रूख किसी खास देश के खिलाफ नहीं है और यह सभी गैर एनपीटी देशों पर लागू होता है।
बीजिंग की ओर से यह प्रतिक्रिया आने से महज एक दिन पहले सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा था, चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध नहीं कर रहा है, वह सिर्फ उसके मानदंडों और प्रक्रिया पर बात कर रहा है। मुझे आशा है कि हम एनएसजी में अपने प्रवेश का समर्थन करने के लिए चीन को भी राजी करने में सफल रहेंगे। नई दिल्ली में अधिकारियों ने इस झटके को कमतर करने का प्रयास किया और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत अभी भी अशान्वित है। एनएसजी की मुख्य बैठक 24 जून को होनी है। इस बैठक से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए ताशकंद में होंगे, और इसमें भाग लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग भी वहां पहुंचेंगे। ताशंकद यात्रा के दौरान मोदी शी चिनपिंग से मिल सकते हैं और आशा की जा रही है कि वह भारत की एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। हालांकि बातचीत से इसका कोई हल निकलेगा या नहीं, अभी स्पष्ट नहीं है।
भारत को एनएसजी की सदस्यता देने का अमेरिका पूरजोर समर्थन कर रहा है और उसने सियोल में चल रही बैठक में भारत का समर्थन करने का अनुरोध करते हुए अन्य सदस्यों को भी पत्र लिखा है। एनएसजी के बहुमत सदस्य भारत को संगठन की सदस्यता देने के पक्ष में हैं, वहीं समझा जाता है कि चीन के अलावा तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड भारत की सदस्यता के पक्ष में नहीं हैं। भारत के प्रवेश का विरोध करते हुए चीन का तर्क है कि भारत ने अभी तक परमाणु नि:शस्त्रीकरण संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। लेकिन भारत को किसी भी प्रकार की छूट मिलने की स्थिति में चीन अपने करीबी सहयोगी पाकिस्तान को एनएसजी सदस्यता दिलाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। भारत ने जोर दिया है कि एनएसजी का सदस्य बनने के लिए एनपीटी का हस्ताक्षरी होना अनिवार्य शर्त नहीं है। अपनी दलील के पक्ष में भारत ने फ्रांस का उदाहरण दिया है।