सालों पुराने अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद पर देश की शीर्ष अदालत के फैसले से जुड़ी खबरें दुनियाभर के मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुई हैं। इस फैसले को विश्व के कई मुख्य अखबारों और न्यूज चैनलों ने वरीयता दी। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा कि दशकों पुराने विवाद में यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी जीत है। वहीं ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने इसे राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा बताया है।
आइए, जानते हैं दुनिया भर के मीडिया का अयोध्या विवाद पर फैसले को लेकर क्या रूख रहा-
अमेरिकी मीडिया ने क्या कहा?
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा कि दशकों पुराने विवाद में यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी जीत है। अखबार ने कहा कि भगवान राम के लिए विवादित स्थल पर मंदिर बनाना लंबे वक्त से भाजपा का उद्देश्य था। अखबार ने लिखा, “भारत की शीर्ष अदालत ने देश के सबसे विवादित धार्मिक स्थल को ट्रस्ट को देने का आदेश दिया और जिस जगह कभी मस्जिद हुआ करती थी, उस जगह हिंदू मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।”
वहीं अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हिंदुओं को उस जगह मंदिर बनाने की इजाजत मिली, जहां पहले मस्जिद हुआ करती थी। हिंदुओं ने इसकी योजना 1992 के बाद तैयार कर ली थी, जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा हिंदू राष्ट्रवाद और अयोध्या में मंदिर बनाने की लहर में ही सत्ता में आए। यह उनके प्लेटफॉर्म का प्रमुख मुद्दा था।”
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल का नियंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को दे दिया, जिसे बाद में हिंदू राष्ट्रवादी समूहों के ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। अखबार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारत की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को आकार देने का काम करेगा। दशकों तक अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों ने मामले से जुड़ी भावनाओं को राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करने की कोशिश की। लेकिन भाजपा ने इसका इस्तेमाल सबसे प्रभावी तरीके से किया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में मोदी सरकार ने मुस्लिम बहुल कश्मीर से उसकी स्वायत्तता छीन ली और भारत में लंबे समय से रह रहे कुछ मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता देने से इनकार किया है। विवादित स्थल का नियंत्रण हासिल करना हिंदू राष्ट्रवादियों का दशकों पुराना एजेंडा रहा है। मोदी खुद युवावस्था में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद वे इस मुद्दे में गहराई से उतर गए।’’
ब्रिटिश मीडिया का रूख
ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने भी इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की बड़ी जीत करार दिया। अखबार ने लिखा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाना उनके राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा रहा है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देश के 20 करोड़ मुस्लिम सरकार से डर महसूस कर रहे हैं। अखबार ने कहा कि 1992 में मस्जिद ढहाया जाना भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाकाम होने का बड़ा क्षण था।”
वहीं बीबीसी ने लिखा कि अयोध्या पर भारत में एक बड़ा फैसला आया है। बाबरी मस्जिद के गुंबद की जगह हिंदू पक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने सौंप दी है। इस तरह एक बड़े विवाद का 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद पटाक्षेप हो गया है लेकिन आने वाला वक्त बताएगा कि दोनों समुदायों में किस तरह से सौहार्द का वातावरण बनाया जाता है।
पाकिस्तान और खाड़ी देशों ने क्या कहा
पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ ने लिखा, “भारत की शीर्ष अदालत ने उस विवादित स्थल पर, जहां हिंदुओं ने 1992 में मस्जिद गिराई थी हिंदुओं के पक्ष में निर्णय सुना दिया और कहा कि अयोध्या की जमीन पर मंदिर बनाया जाएगा। हालांकि, अदालत ने यह मान लिया कि 460 साल पुरानी बाबरी मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था। कोर्ट के फैसले से भारत के हिंदू-मुस्लिमों के बीच भारी हुए संबंधों पर बड़ा असर पड़ सकता है।”
वहीं पाकिस्तान के द ट्रिब्यून ने अपनी खबर में सरकार और विदेश मंत्रालय के बयानों का जिक्र किया। इसमें विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के हवाले से कहा गया कि भारत के मुस्लिम पहले से काफी दबाव में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन पर दबाव बढ़ेगा। वेबसाइट ने विदेश मंत्रालय की ओर से लिखा कि भारत सरकार को मुस्लिमों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
दूसरी ओर अल जजीरा की वेबसाइट ने लिखा, “भाजपा ने अयोध्या में मंदिर के लिए सालों-साल अभियान चलाया। अब निर्णय के माध्यम से मंदिर का रास्ता साफ होना 69 साल के मोदी के लिए दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही बड़ी जीत है। उम्मीद है कि यह फैसला सालों के गुस्से और मतभेद भरी कानूनी लड़ाई का अंत करेगा, जिसे ब्रिटिश सामंतवादी शासकों और यहां तक की दलाई लामा ने भी सुलझाने का प्रयास किया।”
वहीं संयुक्त अरब अमीरात की वेबसाइट गल्फ न्यूज ने लिखा, “134 साल का विवाद 30 मिनट में सुलझा लिया गया। हिंदुओं को अयोध्या की जमीन मिलेगी। मुस्लिमों को मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।”