श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 2011 में देश के दो कार्यकर्ताओं के लापता होने के मामले में अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करने का निर्देश दिया है।
श्रीलंका में लंबे समय तक चले गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद, जाफना के उत्तरी जिले में दो अधिकार कार्यकर्ता ललित वीरराज और कुगन मुरुगनाथन के लापता होने गये। उस समय राजपक्षे रक्षा मंत्रालय में एक शक्तिशाली अधिकारी थे।
राजपक्षे पर 12 साल पहले लापता कार्यकर्ताओं के अपहरण दस्ते की देखरेख करने का आरोप लगाया गया था। जो विद्रोही, संदिग्धों, महत्वपूर्ण पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को भगाते थे। उनमें से कई को फिर कभी नहीं देखा गया। हालांकि वह पहले किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार कर चुके हैं। 2018 में कोर्ट में पेश होने के आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उन्होंने जाफना जान को खतरा बताया और कोर्ट में पेश होने से छूट मांगी थी जिसके बाद उनको छूट दे दी गई।
श्रीलंका में देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान रहने वाले व्यक्ति पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नही की जा सकती जिसके कारण राजपक्षे के सभी तरह की कानूनी अड़चनों से बचे हुए थे। चूंकि राजपक्षे अब अपनी संवैधानिक पद खो चुके हैं, इसलिए शीर्ष अदालत ने उन्हें 15 दिसंबर को पेश होने के लिए समन जारी करने का फैसला किया।
श्रीलंका की खराब आर्थिक के स्थिति के बाद देश भर में एक बड़ा विद्रोह हुआ जिसके कारण उनके देश छोड़कर भागना पड़ा। सितंबर की शुरुआत में वह से देश लौटे आये।