नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच होने वाली बैठक टल गई है। स्थाई समिति की बैठक आज यानी सोमवार को सुबह 11 बजे सत्तारूढ़ एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच होने वाली थी, जो 8 जुलाई तक के लिए टल गई है। ये जानकारी पीएम के प्रेस एडवाइजर सूर्या थापा की तरफ से दी गई है। बैठक के साथ ही ये तय हो जाएगा कि ओली पीएम बने रहेंगे या नहीं। नेपाल में राजनीतिक उठापटक बीते कई दिनों से जारी है और केपी शर्मा ओली के पीएम पद पर बने रहने को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
दरअसल, नेपाल के वरिष्ठ नेता माधव नेपाल और झालानाथ खनल सरीखे कई अन्य प्रचंड समर्थित गुट के नेता पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। नेपाल में कोरोना के बढ़ रहे मामले, भारत के साथ खराब हो रहे रिश्ते और देश में बढ़ रही चीनी गतिविधियों को लेकर लगातार पीएम ओली की आलोचना हो रही है।
फिर से टली स्थाई समिति की बैठक
इससे पहले शनिवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक को सोमवार तक के लिए टाल दिया गया था। होने वाली स्थाई समिति की बैठक में ही नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भाग्य का फैसला होना है। पीएम ओली के मीडिया सलाहकार सूर्या थापा ने शनिवार को कहा था कि बैठक सोमवार तक के लिए टल गई है, क्योंकि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को और अधिक समय चाहिए। अब ये बैठक 8 जुलाई तक के लिए टाल दी गई है। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति के 40 में से 33 नेता पीएम ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
इन नेताओं ने की इस्तीफे की मांग
बीते सप्ताह एक वरिष्ठ नेता ने प्रचंड के हवाले से बताया था कि नेपाली पीएम ओली द्वारा पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा था कि प्रचंड के अलावा, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल, उपाध्यक्ष बमदेव गौतम और प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री को अपने आरोपों को लेकर सबूत देने और इस्तीफे की मांग की है।
पीएम ओली ने कहा, हटाने के लिए हो रही गतिविधियां
जिसके बाद पीएम ओली ने कहा था कि उन्हें हटाने के लिए ‘‘दूतावासों और होटलों’’ में कई तरह की गतिविधियां हो रही हैं। इसमें नेपाल के कुछ नेता भी शामिल हैं। ओली ने कहा था, ‘‘अपनी जमीन पर दावा कर मैंने कोई भूल नहीं की। नेपाल के पास 146 साल तक इन इलाकों का अधिकार रहने के बाद पिछले 58 साल से इस जमीन को हमसे छीन लिया गया था।’’ हालांकि नेपाल के इस दावे को भारत खारिज कर चुका है। दरअसल, केपी शर्मा की अगुआई वाली नेपाल सरकार ने बीते महीने जारी किए गए नए नक्शे में भारत के कई इलाकों को शामिल कर लिया है।