इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के नेताओं ने शिरकत की थी। दुनिया के नेताओं को अपनी सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में सूचित करते हुए मोदी ने बताया कि भारत मजबूत संस्थागत ढांचा, स्वतंत्र नियामक एजेंसी और प्रशिक्षित एवं विशेषीकृत कर्मियों के जरिए परमाणु सुरक्षा को शीर्ष राष्ट्रीय प्राथमिकता प्रदान करता रहेगा।
इस योजना में विकास एवं परमाणु आतंकवाद को रोकने एवं उससे रक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शामिल है। उन्होंने कहा कि इनमें ढांचागत एवं साइबर अवरोधकों, प्रौद्योगिकीय दृष्टिकोण, निम्न संवर्धित यूरेनियम और सीजियम 137 जैसे अतिसंवेदनशील रेडियोआईसोटॉप्स के विट्रिफायड रूप के इस्तेमाल के लिए मेडिकल ग्रेड मोली-99 के लिए सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
रेडियो आईसोटॉप सीजियम 137 का इस्तेमाल कैंसर के उपचार के लिए मेडिकल थेरेपी, औद्योगिक रेडियोथेरेपी, रेडियेशन मापने, खाद्य विकिरण और मृदा परीक्षण में होता है। मोदी ने कहा कि भारत परमाणु तस्करी का मुकाबला और राष्ट्रीय स्तर पर परमाणु एवं रेडियोधर्मी सामग्री का पता लगाने वाले संस्थान को मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए एक समर्पित परमाणु तस्करी-रोधी टीम का गठन किया गया है।
इसके अलावा, भारत परमाणु सुरक्षा कोष में 10 लाख अमेरिकी डॉलर का योगदान करके परमाणु सुरक्षा में अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आईएईए) की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करेगा। आईएईए के विशेषज्ञों के साथ अंतरराष्ट्रीय भौतिक संरक्षण आकलन सेवा (आईपीपीएएस) पर भारत में एक कार्यशाला भी आयोजित होगी। भारत 2017 में परमाणु आतंकवाद से मुकाबला के लिए वैश्विक पहल की बैठक की मेजबानी करेगा। इसके तहत परमाणु तस्करी से मुकाबले पर इंटरपोल के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना है। राष्ट्रीय कार्य योजना के मुताबिक, देश में परमाणु सुरक्षा ढांचे को मजबूत किया जा रहा है और भारत वैश्विक स्तर पर सुरक्षा ढांचे को मजबूती प्रदान करने में हिस्सा ले रहा है।
इसके अनुसार, भारत की निर्यात नियंत्रण सूची और दिशानिर्देशों को परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) के नियमों के अनुरूप बनाया गया है और भारत निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की सदस्यता के जरिये साझा परमाणु अप्रसार उद्देश्यों के लिए अपने योगदान को मजबूत करने की दिशा में आशान्वित है। इसके अनुसार, भारत ने 2005 में सामूहिक विनाश एवं वितरण प्रणाली अधिनियम, 2005 को लागू किया, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) प्रस्ताव 1540 के तहत भारत के दायित्वों को प्रभावी करता है।