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अमेरिकी दौरा संपन्न, पीएम मोदी स्वदेश रवाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयरलैंड और अमेरिका की हफ्ते भर की यात्रा के बाद स्वदेश के लिए रवाना हो गए हैं। मोदी ने भारत रवाना होने से पहले ट्वीट किया, मेरे अमेरिकी दौरे ने हमारे संबंधों की विशिष्ट गहराई और विविधता जाहिर की। मुझे कई कार्यक्रमों में शामिल होने का सुअवसर मिला, जिनमें से प्रत्येक ने कई सकारात्मक नतीजे दिए। इनका भारत को लाभ मिलेगा। अपने शानदार स्वागत और आतिथ्‍य सत्कार के लिए उन्‍होंने अमेरिकी जनता को धन्‍यवाद दिया है।
अमेरिकी दौरा संपन्न, पीएम मोदी स्वदेश रवाना

सात दिवसीय विदेश दौरे के पहले चरण में मोदी आयरलैंड गए। बीते 60 साल में भारत से वहां जाने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। डबलिन में उन्होंने आयरलैंड की सरकार के प्रमुख एंडा केनी से बातचीत की। मोदी 23 सितंबर को न्यूयार्क गए जहां उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। यात्रा के आखिरी चरण में उन्‍होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा आयोजित शांतिरक्षा शिखर सम्मेलन में भागीदारी की थी।

अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्राी ने कई विश्व नेेताओं से मुलाकात की और प्रमुख निवेशकों तथा वित्तीय क्षेत्रा की कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ भी संवाद किया। दौरे के आखिरी दिन पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्य देशों के नेताओं-अमेरिकी राष्टपति बराक ओबामा, ब्रिटिश प्रधानमंत्राी डेविड कैमरन और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद से मुलाकात की। 

 

शांति अभियानों में मोदी ने उठाया प्रतिनिधित्‍व का मुद्दा 

प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षा अभियानों में भारत द्वारा 850 सैनिकों की एक अतिरिक्त बटालियन का योगदान देने का एेलान करते हुए सैनिकों का योगदान देने वाले देशों की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई भूमिका न होने पर चिंता भी जताई। संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा बुलाई गई शिखर बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि शांतिरक्षा के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता है और यह उत्तरोत्तर मजबूत होगी। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि शांतिरक्षा की सफलता आखिरकार उन हथियारों पर निर्भर नहीं करती जो सैनिकों के पास होते हैं बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नैतिक बल पर निर्भर करती है। इस शिखर बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत कई प्रमुख देशों के कई नेता मौजूद थे।

मोदी के अनुसार, आम तौर पर समस्याएं इसलिए पैदा होती हैं क्योंकि सैनिकों का योगदान करने वाले देश निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा, उन देशों के पास वरिष्ठ प्रबंधन और बल कमांडरों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। ड्यूटी के दौरान सैनिकों के सामने पेश आने वाली मुश्किल परिस्थितियों को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि आज शांतिरक्षकों को सिर्फ शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए नहीं बुलाया जाता, बल्कि उन्हें कई जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए भी बुलाया जाता है।

सम्मेलन की मेजबानी के लिए ओबामा का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल उचित समय पर किया गया है। एेसा इसलिए नहीं कि वैश्विक संस्था की 70वीं सालगिरह है, बल्कि यह इसलिए सही समय है, क्योंकि सुरक्षा से जुड़ा माहौल बदल रहा है, शांतिरक्षा से जुड़ी मांगें बढ़ रही हैं और संसाधन मिलना मुश्किल हो रहा है। शांतिरक्षा अभियानों में 1.8 लाख सैनिकों की भागीदारी के साथ भारत संयुक्तराष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। भारत अब तक संयुक्त राष्ट्र के 69 अभियानों में से 48 अभियानों में भागीदारी कर चुका है। 

मोदी ने कहा कि भारतीय सैनिक दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से शांतिरक्षा अभियानों में काम कर रहे हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भारत ने अपने 24 हजार से ज्यादा सैनिक गंवाए थे। इससे लगभग आधी संख्या में सैनिक लापता हो गए थे। उन्होंने जोर दिया कि शहीद हुए शांतिरक्षकों की याद में जल्दी ही एक स्मारक बनाया जाना चाहिए, जिसके लिए भारत आर्थिक योगदान भी देगा।

 

 

 

 

 

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