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नेपाल भूकंपः 10, 000 मौतों की आशंका

नेपाल भूकंप आपदा में मरने वालों की संख्या 10, 000 का आकंड़ा पार करने की आशंका जताई जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने यह आशंका जताई कि भूकंप से मरने वालों की संख्या दस हजार को पार कर सकती है। उधर जिंदा बचे लोगों में राहत न मिल पाने की वजह से आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
नेपाल भूकंपः 10, 000 मौतों की आशंका

उधर, संयुक्त राष्ट ने आज कहा है कि विनाशकारी भूकंप के कारण 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। यूएन की एक रिपोर्ट में कहा है कि 14 लाख लोगों को तुरंत खाना, पानी और आश्रय की भी जरूरत है। देश में भूकंप आने के तीन दिन बाद भी भूकंप के केन्द्र लामजुंग के सबसे प्रभावित कुछ इलाकों में बचाव दल नहीं पहुंच सका है।

नेपाल के सूचना एंव प्रसारण मंत्राी मीनेन्द्रा रिजाल ने बताया, हम अभी भी बचाव और राहत काम कर रहे हैं। राहत अभियान घाटी के भीतर चल रहा है, ध्वस्त हुए मकान अभी भी एक बड़ी चुनौती है। कई स्थानों से लोग अनुरोध कर रहे हैं, हम लोग उनमें कुछ को ही सहायता दे पा रहे हैं। अभी भी हम लोग यहां पर लोेगों को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं, विभिन्न क्षेत्राों के विशेषग्यों की जरूरत है।

रिजाल ने एक टीवी चैनल पर कहा, अब हम लोग बचाव अभियान से राहत अभियान की ओर बढ़ रहे हैं। राहत अभियान, चिकित्सा आपूर्ति महत्वपूर्ण है, पेयजल महत्वपूर्ण है, विशेषग्य आ सकते हैं और बिजली की आपूर्ति महत्वपूर्ण है इसके बिना अस्पतालों में काम नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, और अधिक दवाईयों की आपूर्ति, डाॅक्टरों विशेषकर इस तरह की स्थिति से निपटने वाले हड्डी रोग, सर्जन, एनेस्थैटिक्स की जरूरत है। जहां तक राहत अभियान का संबंध है मानक संचालन प्रक्रियाएं अपनायी जा रही हैं। राहत अभियान के लिए हमें सहयोग की जरूरत है... और दवाईयों की जरूरत है।

विनाशकारी भूकंप में मारे गये पीडि़तों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया जा रहा है जबकि घरों और भवनों के मलबांें के नीचे दबे शवों को निकालने के लिए बचाव अभियान लगातार जारी है।

खुले मैदान में सैकड़ों लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि नेपाल ने महामारी और स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है।

नेपाल में भूकंप के लगातार घटके कहर बरपा रहे हैं। अब तक चार हजार से ज्‍यादा लोग मारे जा चुके हैं। मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार और सोमवार को आए भूकंप के ताजा झटकों के बाद बारिश, बर्फबारी और भू-स्‍खलन ने राहत और बचाव कार्यों में रूकावट पैदा कर दी है। सरकार व्‍यवस्‍थाएं पूरी तरह ध्‍वस्‍त हैं। लोग खाने-पीने और इलाज के लिए तरस रहे हैं। दहशत के साये में लाखों लोग सड़कों और खुली जगहों पर रात बिताने को मजबूर हैं। चारों तरह मातम और मलबा बिखरा है। भूकंप ने पूरे नेपाल को हिलाकर रख दिया है। लोग मदद के लिए तरस रहे हैं। ”

नेपाल में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। अक्‍सर शक्तिशाली भूकंप के बाद इस तरह के झटके आते हैं। रविवार दोपहर नेपाल में करीब 6.8 तीव्रता को भूकंप आया, जिसका केंद्र काठमांडू से 65 किलोमीटर दूर कोडारी में था। इसके झटके उत्‍तर और पूर्वी भारत के कई इलाकों में भी महसूस हुए। शाम तक भी झटकों का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के दौरान नेपाल में बारिश और हिम-स्‍खलन की आशंका जताई है। इधर, भारत ने नेपाल को संकट की इस घंटी में मदद के लिए ऑपरेशन मैत्री शुरू कर दिया है। भारतीय वायुसेना और बसों के जरिए नेपाल से अब तक एक हजार से ज्‍यादा लोगों को सुरक्षित देश लौट चुके हैं। लेकिन रविवार शाम हुई बारिश से काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर उड़ानें पूरी तरह बंद करनी पड़ी। बहुत-से पर्यटक अपने देश्‍ा वापस जाने के लिए हवाई अड्डे पर जमा हैं और भूकंप की आशंका से वहां भी अफरा-तफरी मची हुई है। गौरतलब है कि नेपाल में 1934 के बाद सबसे भयंकर भूकंप आया है। उस समय आए भूंकप में करीब 8500 लोग मारे गए थे। 

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