सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल की विद्या देवी भंडारी ने नेपाली कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंदी को 100 से ज्यादा वोटों से हराया। पिछले महीने 20 सितंबर को संविधान के लागू होने के साथ ही संसद सत्र शुरू होने के एक महीने के भीतर नए राष्ट्रपति का निर्वाचन जरूरी था।
54 साल की भंडारी सीपीएन-यूएमएल की उपाध्यक्ष एवं पार्टी के दिवंगत महासचिव मदन भंडारी की पत्नी हैं। उन्होंने चुनाव में 327 वोट हासिल किए जबकि उनके विरोधी नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुल बहादुर गुरूंग को 214 वोट मिले। संसद अध्यक्ष ओनसारी घारती मागर ने सांसदों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, मैं विद्या देवी भंडारी के नेपाल के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने की घोषणा करता हूं। विद्या निवर्तमान राष्ट्रपति रामबरन यादव की जगह लेंगी जिन्हें नेपाल को एक गणराज्य घोषित किए जाने के बाद 2008 में देश का पहला राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया था। देश को 240 सालों की राजशाही का अंत करते हुए गणराज्य घोषित किया गया था।
राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले सार्वजनिक बयान में विद्या ने कहा कि उनके कार्यकाल में नेपाल की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता के लिए नया संविधान काम करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले महीने संविधान सभा द्वारा मंजूर किया गया संविधान देश की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगा। विद्या ने कहा कि उनका निर्वाचन संविधान की भावनाओं के अनुरूप उसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया में आगे का एक कदम है।
राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में विद्या की जीत लगभग निश्चित थी क्योंकि तीसरी एवं चौथी सबसे बड़ी पार्टी यूसीपीएन (माओवादी) और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल (आरपीपी-एन) सहित 12 सत्तारूढ़ दलों ने उनके समर्थन की घोषणा की थी। उनके प्रतिद्वंदी गुरूंग को केवल नेपाली कांग्रेस के सांसदों के वोट मिले।