ये रसायन ऐसे हैं, जिन्हें ओज़ोन क्षरण रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मॉन्ट्रियल संधि के तहत नियंत्रित नहीं किया जाता। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनमें से एक बेहद कम जीवनकाल वाले (वीएसएलएस) रसायन की वातावरण में मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है। यूनिवर्सिर्टी ऑफ लीड्स के स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंट में अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉक्टर रेयान हुसैनी ने कहा, वीएसएलएस के प्राकृतिक एवं औद्योगिक दोनों स्रोत हो सकते हैं। वीएसएलएस के औद्योगिक उत्पादन पर संयुक्त राष्ट्र के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत नियंत्रण नहीं है क्योंकि पूर्व समय में इन रासायनों की ओज़ोन क्षरण में बहुत कम ही भूमिका रही है।
हुसैनी ने कहा, अब हमने पता लगाया है कि इनमें से एक रसायन की मात्रा तेज गति से बढ़ रही है और यदि इस वृद्धि को जारी रहने दिया जाता है तो यह मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के जरिए ओज़ोन परत को मिले कुछ लाभों को प्रभाव शून्य कर सकता है। यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।