विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि वह कोविड19 संक्रमित मरीजों को एक साथ दी जाने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एचआईवी दवा के परीक्षण को रोक रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि दोनों दवाओं का प्रभाव कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्युदर को कम करने में नाकाम रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि एक ही दिन में पहली बार दुनियाभर में दो लाख से ज्यादा कोराना के मरीजों की संख्या पहुंचने पर संगठन को झटका लगा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल 212,326 में से 53,213 नए मामले शुक्रवार को दर्ज किए गए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि रोगियों के सही होने के मानकों को देखते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनवीर/ रटनवीर के अंतरिम परीक्षण के परिणामों से यह पता चलता है कि संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर में कमी की गति बहुत कम रही या कोई कमी ही नहीं हुई। यह स्थिति एकजुट होकर परीक्षण में जुटे जांचकर्ताओं को तत्काल प्रभाव से बाधित करेगी।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि परीक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति की सिफारिश पर यह फैसला लिया गया है। एजेंसी से स्पष्ट किया कि यह फैसला अन्य अध्ययनों को प्रभावित नहीं करेगा। न ही गैर-अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल को प्रभावित करेगा।