पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी सेना और उसके देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अफगानिस्तान में लड़ने के लिए अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण दिया था। उन्होंने कहा कि इसलिए हमेशा से उनसे संबंध बने रहते हैं क्योंकि उन्होंने उन्हें प्रशिक्षित किया है।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) में सोमवार को एक समारोह में इमरान से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की ओर से कोई जांच कराई गई थी कि कैसे ओसामा बिन लादेन एबटाबाद में रह रहा था, इस पर उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी सेना, आईएसआई ने अलकायदा और इन सब समूहों को अफगानिस्तान में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया, उनके संबंध हमेशा से थे, यह संबंध होने ही थे क्योंकि उन्होंने उन्हें प्रशिक्षित किया।"
‘इसलिए पाकिस्तान के अंदर हमले हुए...’
खान ने कहा, "जब हमने इन समूहों से मुंह मोड़ा तो हमसे सब सहमत नहीं हुए। सेना के अंदर भी लोग हमसे सहमत नहीं हुए, इसलिए पाकिस्तान के अंदर हमले हुए।"
‘पाक सैन्य प्रमुख, आईएसआई को एबटाबाद के बारे में पता नहीं था...’
उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी सेना को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बिन लादेन एबटाबाद में रह रहा था। पीएम इमरान ने कहा, "जहां तक मैं जानता हूं पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख, आईएसआई को एबटाबाद के बारे में कुछ पता नहीं था। यदि किसी को मालूम भी होगा तो वह संभवत: निचले स्तर में होगा।"
‘अमेरिका के युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी’
अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मेट्टिस ने कहा था कि वह पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश मानते हैं, जिसके संबंध में पूछे गए प्रश्न पर इमरान ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि जेम्स मेट्टिस यह पूरी तरह समझते हैं कि पाकिस्तान क्यों कट्टरपंथी हो गया।" उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होकर सबसे बड़ी गलती की। इमरान ने कहा, "9/11 के बाद आतंक के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी। 70,000 पाकिस्तानी इसमें मारे गए। कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं हमारी अर्थव्यवस्था को इससे 150 अरब तो कुछ का कहना है कि हमें इससे 200 अरब की हानि हुई। इसके बाद भी अफगानिस्तान में अमेरिका के जीत हासिल नहीं करने पर हमें जिम्मेदार ठहराया गया।"
‘उन्हें बताया गया कि विदेशी ताकतों से लड़ना 'जिहाद' है...’
उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में सोवियत संघ से लड़ने के लिए जिन समूहों को प्रशिक्षित किया गया था उन्हें बाद में अमेरिका ने आतंकवादी ठहरा दिया। इमरान ने कहा, "उन्हें बताया गया कि विदेशी ताकतों से लड़ना 'जिहाद' है। मगर अब जब अमेरिका अफगानिस्तान में आ गया है तो उन्हें आतंकवादी करार दिया गया।"
एजेंसी इनपुट