पाकिस्तान को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने उसे 'ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया है। अभी तक पाकिस्तान एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में शामिल था। एफएटीएफ आतंकी फंडिंग, वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ गठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी है। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी केनबरा में दो दिन चली बैठक में यह फैसला किया गया। भारत भी एफएटीएफ का सदस्य है।
40 मानकों में से 32 को पूरा करने में विफल रहा पाक
पाकिस्तान एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) के मानकों को पूरा करने में विफल रहा है, जिसके बाद उस पर यह कार्रवाई की गई है। एपीजी की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान 40 मानकों में से 32 को पूरा करने में विफल रहा है। इसके अलावा टेरर फंडिंग के खिलाफ सुरक्षा उपायों के तय 11 मापदंडों में से भी 10 को पूरा करने में पाकिस्तान विफल साबित हुआ है।
पाकिस्तान को विदेश से मदद लेने में मुश्किल होगी
इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड के दबाव के बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 से संदिग्ध सूची में डाल दिया था। ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का मतलब है कि पाकिस्तान के लिए अब दिक्कतें और बढ़ेंगी। उसे वित्तीय सहायता लेने में मुश्किल आएगी।
जानें क्या है एफएटीएफ
एफएटीएफ पेरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है।