वैसे चीन के इस रुख को अब भारत के पक्ष में नरमी के रूप में भी देखा जा सकता है क्योंकि चीन अब भारत के खिलाफ नहीं बल्कि भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को भी एनएसजी में शामिल करने के लिए लॉबिंग कर रहा है।
सरकारी ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है, ‘भारत जहां परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, वहीं वह पाकिस्तान को उसके खराब परमाणु प्रसार रिकॉर्ड के आधार पर रोकता है। असल में पाकिस्तान की ओर से जो परमाणु प्रसार किया गया, वह तो पाकिस्तान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान ने किया था और यह पाकिस्तान सरकार की आधिकारिक नीति नहीं थी।’
लेख के अनुसार, खान को कई साल तक घर में नजरबंद रखे जाने के बाद सरकार ने उन्हें दंडित किया था। यदि परमाणु प्रसार संधि (एनपीटी) और एनएसजी भारत को छूट दे सकते हैं तो यह छूट पाकिस्तान पर भी लागू होनी चाहिए। यह संभवत: पहली बार है, जब चीनी आधिकारिक मीडिया ने एनएसजी में पाकिस्तान को शामिल किए जाने का समर्थन सीधे तौर पर किया है। चीन आधिकारिक तौर पर यह कहता रहा है कि किसी देश को शामिल किए जाने को लेकर सर्वसम्मति होनी चाहिए।
‘भारत के एनएसजी में शामिल होने में चीन नहीं है बाधा’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि चीन और अन्य देश पाकिस्तान को बाहर रखते हुए भारत को एनएसजी में शामिल करने के खिलाफ हैं क्योंकि इसका अर्थ भारत की समस्या को सुलझाना लेकिन एक अन्य बड़ी समस्या पैदा कर देना है। यदि एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए भारत पाकिस्तान से हाथ मिला लेता है तो यह अकेले सदस्यता हासिल करने की तुलना में कहीं अधिक व्यवहारिक होगा।
लेख में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान ने वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण किए थे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इनकी निंदा की थी। अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान ने दोनों देशों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका में 11 सितंबर के हमलों के बाद इन प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटा दिया गया था। अमेरिका ने भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर भी किए थे और अब अमेरिका एनएसजी में शामिल होने की भारत की दावेदारी का समर्थन करता है। लेकिन भारत के परमाणु दर्जे की वैधता का मुद्दा सुलझाया नहीं गया है। इस लेख में पाकिस्तान की ओर से परमाणु प्रसार का आरोप परमाणु वैज्ञानिक खान पर डाला गया।
यह लेख ऐसे समय पर आया है, जब एनएसजी ने सोल में अपनी बैठक शुरू कर दी है। हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत को इस समूह में शामिल किया जाना एजेंडे में शामिल नहीं है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ओर से चीन को मना लेने का विश्वास जताए जाने के 24 घंटे से भी कम समय में चीन के विदेश मंत्रालय ने कल कहा था कि एनएसजी एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले भारत जैसे देशों को सदस्य बनाने के मुद्दे पर अभी भी बंटा हुआ है। सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा था कि भारत एनएसजी में प्रवेश का समर्थन करने के लिए चीन को मना लेगा।